लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित प्रमुख कार्यस्थल विधानसभा और विधान परिषद में बारिश के मौसम में जलभराव को लेकर रिपोर्ट तलब की गई है। लखनऊ नगर निगम की प्रथम महिला और महापौर ने नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को पत्र लिखकर इसकी जानकारी मांगी है।
दरअसल, 31 जुलाई को हुई भारी बारिश से राजधानी लखनऊ जलमग्न हो गया था। यूपी विधानसभा के गेट नंबर 7 के सामने भी पानी भर गया था। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गेट नंबर 1 से बाहर निकलना पड़ा था। इतना ही नहीं शहर का पानी निकालकर लोगों को राहत देने वाले नगर निगम में भी पानी भर गया था। इसके बाद से पम्प विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ नगर निगम के सफाई अमले पर कार्रवाई करने के निर्देश तक दिए गए थे।
भारी भरकम खर्च के बावजूद भी नालियां चोक
लखनऊ नगर निगम मुख्यालय की बात करें तो पूरे परिसर में केवल एक लिफ्ट है, जबकि 31 जुलाई वाली बरसात के बाद जलभराव के कारण उसको 3 दिनों तक बंद करने का निर्णय लिया गया था।
ये भी पढ़ें: मसालों में मिलावट से सावधान! भारत के 12% मसालों के सैंपल फेल, FSSAI ने RTI रिपोर्ट में किया खुलासा
आपको बता दें कि नाली, बड़े नाले और अन्य साफ सफाई में 14 करोड़ रुपये खर्च किये जाते है। उसके बावजूद जलभराव से निजात नहीं मिल पा रहा है, तो ये नगर निगम की कार्यशैली पर सवालिया निशान है। लखनऊ नगर निगम कार्यालय लगभग 80 साल पुराना है, जांच के दौरान अक्सर वहां की सीवर और नालियों को चोक ही पाया जाता है। इन्हीं विषयों को लेकर महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर जवाब मांगा है।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक