दिल्ली. तेलंगाना प्रांत के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर ओवैसी से टक्कर लेने वाली सैयद शहजादी को कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ा। शहजादी आरएसएस के दिग्गज नेता के साथ अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में शामिल होने विशेष रूप से पहुंचीं थीं लेकिन यहां उन्हें मंच से उतार दिया गया।

अपने भड़काऊ भाषणों के लिए बहुचर्चित ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के सामने शहजादी को भाजपा की टिकट पर हैदराबाद की चंद्रयानगुट्टा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था। हालांकि वह अकबरुद्दीन ओवैसी से पराजित हो गई थीं। इसी 11 नवंबर को चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद से सैयद शहजादी भाजपा के खास चेहरे में शुमार रहीं लेकिन करीब दो हजार किलोमीटर यात्रा करके कुरुक्षेत्र में उन्हें जिस रवैये का सामना करना पड़ा, वह ताज्जुब का विषय है।

इस कार्यक्रम के आयोजन के पीछे आयोजकों, सरकार और संघ का उद्देश्य गीता प्रचार के साथ मंच से सर्वधर्म समभाव का संदेश देने का था। शहजादी से पहले पंजाब से आए धर्मगुरु बाबा भूपेंद्र सिंह को भी रोका गया था लेकिन समय रहते इस गलती को सुधार लिया गया। मगर शहजादी के मामले में गलती सुधार करने में करीब आधे घंटे की देरी हो गई। इनके अलावा एक अन्य धर्मगुरु को मंच पर नहीं चढ़ने दिया गया। वे मन मसोस कर मीडिया गैलरी में ही बैठ गए।   
सिक्योरिटी की ओर से मंच पर जाने से रोके जाने के बाद सैयद शहजादी दूसरी दीर्घा में बैठकर भाजपा और संघ के नेताओं को फोन मिलाने में व्यस्त रहीं। आखिरकार वह सफल हुईं और उन्हें भी उसी मंच पर स्थान मिला, जहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल, बाबा रामदेव व कई बड़ी हस्तियां और विख्यात धर्मगुरु, संघ के नेता, अधिकारी मौजूद थे।