लखनऊ. योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने अधिकारियों के रवैये को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. मंत्री का कहना है कि मंत्रियों के कहने पर काम नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि आज राज्य में ज्यादातर अधिकारी ऐसे हैं, जो विकास के लिए काम करते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जो हमेशा समाज का अहित करने में लगे रहते हैं. यही नहीं उन्होंने कहा कि मंत्री भी कोई काम नहीं करा पा रहे. संजय निषाद ने कहा कि जमीनी स्तर पर तो लोग मंत्री को ही सरकार समझते हैं. ऐसा पहले होता भी था. लेकिन आज मंत्रियों के कहने पर कुछ नहीं होता. मुझे याद है कि हम लोगों की युवावस्था के दिनों जब वीर बहादुर सिंह सीएम थे तो हमारे घर आते थे. उन्हें लोग फटे कागज पर भी कुछ लिखकर देते थे तो वह काम हो जाता था.

मैं मजबूर नेता हूं…

संजय निषाद ने कहा कि वह एक परंपरा थी. कई बार मेरे समाज के लोग काम न करा पाने पर नाराज होते हैं. मैं उनसे कहता हूं कि आप लोगों के मुद्दों के लिए मैं पूरे दम से आवाज उठाऊंगा, लेकिन यह भी बताता हूं कि इस समय की व्यवस्था का मैं मजबूर नेता हूं. उन्होंने जौनपुर में निषाद समाज की एक महिला का घर गिराए जाने के नोटिस पर कहा कि वह मेरे पास आई थी. लोकसभा चुनाव के पहले की बात है. अधिकारियों ने कानून तो लागू कर दिया, लेकिन उससे पहले परिवार को कहीं बसा लेना चाहिए था. फिर इस मामले में अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन क्यों नहीं हुआ. आखिर ऐसा क्यों होने दिया गया. ये चुनाव का वक्त था, इसलिए कुछ बोल नहीं पाए थे. लेकिन हारने के बाद तो कह सकता हूं.

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हम कोई काम नहीं कर सकते- संजय निषाद

संजय निषाज ने कहा कि अधिकारी सीधे सीएमओ से जुड़े हुए हैं. पोस्टिंग और ट्रांसफर वहीं से होते हैं. पहले परंपरा थी कि यदि कोई मंत्री डीएम को लिखता था कि कोई अधिकारी काम नहीं कर रहा है तो उसका तुरंत ट्रांसफर होता था. तब जनप्रतिनिधियों का एक डर होता था, जो अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. लेकिन आज हम कोई काम नहीं कर सकते.

कई अधिकारी राजनीति से प्रेरित- संजय निषाद

हालांकि संजय निषाद ने ये भी कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अब चीजों का संज्ञान लेना शुरू किया है. उन्होंने पिछले दिनों पूरी एक पुलिस चौकी को सस्पेंड कर दिया था. इसके अलावा करीब एक दर्जन आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ था. लेकिन अब भी ऐसे कई अधिकारी हैं, जो राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं. ऐसे लोग वोट बैंक खराब कर देते हैं. निषाद ने आरक्षण के नैरेटिव के चलते लोकसभा चुनाव में एनडीए को झटका लगने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि इस हार की वजह अतिआत्मविश्वास थी. निषाद ने कहा कि यूपी में 15 करोड़ लोगों को फ्री राशन मिलता है. यहां आरक्षण बड़ा मसला है. राज्य में यादव, धोबी, पासी, कुर्मी और मौर्य जातियों को आरक्षण का अच्छा लाभ मिला है. लेकिन कश्यप, कुम्हार, पाल, केवट और बढ़ई जैसी जातियां इसका फायदा नहीं उठा पाई हैं. लेकिन इन्हें आसानी से आरक्षण के नाम अगला लेख बरगला दिया जाता है. ऐसा ही चुनाव में भी हुआ, लेकिन भाजपा उसका काउंटर नहीं कर सकी.