प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट धर्म परिवर्तन कराने को लेकर सख्त हो गया है. अदालत का कहना है कि फादर, मौलाना या कर्मकांडी किसी को भी जबरन धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं है. अगर कोई गलत बयानी, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती और प्रलोभन देकर ऐसा कराता है तो वह यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत जिम्मेदार होगा.

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने गाजियाबाद के थाना अंकुर विहार के मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा, देश का संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है. संविधान सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो भारत की सामाजिक सद्भाव और भावना को दर्शाता है.

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न्यायमूर्ति ने कहा कि संविधान के अनुसार राज्य का कोई धर्म नहीं है. राज्य के समक्ष सभी धर्म समान हैं. कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत याचिका को इन दलिलों के आधार पर खारिज कर दिया.