लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर सरकार पर जमकर निशाना साधा हैं। उन्होंने कहा कि अभी तो बस थाने की दीवार कूदी है, अगर भ्रष्टाचार का ओलंपिक होता तो भाजपा राज में ऐसी विशिष्ट योग्यता रखने वाले कुछ कृपा प्राप्त पुलिसवाले ‘हाई जंप’ में प्लेटिनम मैडल ले आते।
अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा- अब सवाल ये है कि उच्च पुलिस अधिकारियों ने छापा क्यों मारा, जबकि उन्होंने ही उस इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की होगी। क्या उस इंस्पेक्टर की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के बारे में कोई रिपोर्ट पहले से उपलब्ध नहीं थी? यदि उत्तर ‘हाँ’ है तो फिर उसको पोस्टिंग कैसे मिली और अगर उत्तर ‘नहीं’ है तो फिर वो पुलिस क्या ख़ुफ़िया रिपोर्ट निकालेगी, जिसे अपनों के बारे में ही पता नहीं है। ऐसे में ये शासन-प्रशासन दोनों की नाकामी है।
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आगे कहा कि जनता कह रही है : कहीं इसके पीछे मूल कारण ये तो नहीं कि बेईमानी का तरबूज़ा तो कटा पर नीचे-से-ऊपर तक ईमानदारी से नहीं बँटा। भाजपा राज में क्या उप्र की जनता नशे के तस्करों से ‘9 लाख’ लेनवाले ऐसे भ्रष्ट नौ रत्नों के भरोसे रहेगी? #नहीं चाहिए भाजपा #ज़ीरो हुई ज़ीरो टालरेंस की_नीति
दरअसल, बरेली के फरीदपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक के कमरे से 9 लाख से अधिक नगद बरामद किया गया है। प्रभारी निरीक्षक पर 3 स्मैक तस्करों को छोड़ने के बदले 7 लाख की रिश्वत लेने का आरोप है। जिसके बाद एसएसपी के आदेश पर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी और क्षेत्राधिकार फरीदपुर ने टीम बनाकर थाने के कमरे में छापा मारा था। कमरे की तलाशी के दौरान थाना प्रभारी रामसेवक मौके से फरार हो गए।
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दीवार फांदकर भाग निकले इंस्पेक्टर
अधिकारियों ने बताया कि फरीदपुर पुलिस ने स्मैक तस्कर नवदिया निवासी आलम, मोहम्मद इस्लाम, नियाज अहमद को पकड़ा था। इन सभी को छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर फरीदपुर रामसेवक ने 9 लाख रुपये लिए। यह पैसा थाने के आवास के बेडरूम में लिया गया। इसकी जानकारी एसएसपी अनुराग आर्य और एसपी दक्षिण को मिली, जैसे ही मानुष पारीक थाने में पहुंचे तभी इंस्पेक्टर दीवार फांदकर भाग निकला। इंस्पेक्टर को पकड़ने के लिए एसपी के गनर भी दौड़े, लेकिन भाग निकले। फिलहाल इंसपेक्टर को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है।
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