वक्फ संशोधन विधेयक पर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की पहली बैठक काफी हंगामेदार रही. विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के कई प्रावधानों पर सख्त ऐतराज जताते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों से जवाब तलब किए. बैठक के दौरान सदस्यों के बीच कई बार नोकझोंक भी हुई. JPC की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी.

JPC की कई घंटे तक चली बैठक में सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज कराने के साथ कई सुझाव भी दिए. सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, AAP के संजय सिंह, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और DMK के ए राजा सहित कई विपक्षी सदस्यों ने कलेक्टर को अधिक अधिकार देने पर सवाल उठाए.

विपक्षी सदस्यों ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के कदम सहित कई खंडों की आवश्यकता पर प्रश्न उठाए. इसको लेकर कुछ सदस्यों ने नाराजगी भी जताई. एक सदस्य ने कहा कि JPC की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी.

JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक में सभी सदस्यों को आश्वासन दिया कि समिति विभिन्न मुस्लिम निकायों सहित सभी हितधारकों से बात करेगी. JPC की बैठक शुरु होने से पहले मीडिया से बात करते हुए जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति विधेयक पर विस्तार से चर्चा करेगी और इस पर चिंताओं पर भी चर्चा करेगी.

जगदंबिका पाल ने कहा कि विभिन्न हितधारकों की आवाज सुनी जाएगी. उन्होंने कहा कि JPC सभी 44 संशोधनों पर चर्चा करेंगे और अगले सत्र तक एक अच्छा और व्यापक विधेयक लाएंगे. समिति विभिन्न संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न मुस्लिम निकायों को बुलाकर उनके विचार सुनेगी. इसके बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी.

विधेयक NDA सरकार की बड़ी पहल

यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार की पहली बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना है. इसमें कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के लिए प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों के साथ एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना करना शामिल है. सरकार ने 8 अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था.

विपक्ष के विरोध को देखते हुए विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 31 सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य हैं. समिति को शीतकालीन सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.