अजयारविंद नामदेव, शहडोल। एसईसीएल एवं प्रशासन से उपेक्षित किसान, ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधियों ने ग्राम सभा का बहिष्कार कर दिया। 10 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को मुआवजा, पुनर्वास, पुनर्स्थापना, और रोजगार नहीं मिला। नाराज ग्रामीणों ने आज ग्राम सभा का बहिष्कार कर उग्र आंदोलन की चेतवानी दी है।

10 साल बाद भी मुआवजा और नौकरी नहीं मिली

शहडोल जिल के जनपद पंचायत बुढ़ार के रामपुर ग्राम पंचायत अन्तर्गत बटुरा ओपन माइंस की अधिग्रहित जमीन और उसके बदले नौकरी के नियमों और शर्तों को लेकर ग्रामीण किसान एक बार फिर नाराज है। शहडोल और अनूपपुर दोनों जिले के बॉर्डर गांव की खदान परियोजना में बड़ी भूमिका है। एसईसीएल के जिम्मेदारों द्वारा किसानों का सबसे ज्यादा दोहन व उपेक्षा की जा रही है। वर्ष 2016 से रोजगार और मुआवजा की कार्यवाही प्रारंभ हुई थी, लेकिन प्रशासनिक लचर व्यवस्था के चलते किसान ग्रामीणों को 10 साल बीत जाने के बाद भी उनकी संपत्ति एसईसीएल अधिग्रण करने के बाद भी हक नहीं दिला पा रही है।

7 गांवों के ग्रामीण प्रभावित

रामपुर की सरपंच प्रेमिया बैगा ने बताया कि एसईसीएल द्वारा जमीन का अधिग्रहण वर्षाे पूर्व किया था, लेकिन आज तक मुआवजा और नौकरी नहीं दी। खेती खत्म हो चुकी है, कई बार आंदोलन, धरना सहित पत्राचार किया गया, लेकिन आज तक कोई हल नहीं निकला। लगभग 7 गांवों के लोग प्रभावित हैं। जनपद सदस्य चंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि ग्रामसभा का बहिष्कार एसईसीएल की कार्यशैली के चलते किया गया है। तीन ग्रामों के 1476 लोगों को रोजगार देना था, तीन साल में केवल 500 लोगों की भर्ती हुई है। कलेक्टर, विधायक सहित अन्य नेता आते, आश्वासन देते और इधर कोई ध्यान नहीं देता। कालरी ने अपना काम शुरू कर दिया है। हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो, इस बार बड़ा आंदोलन होगा जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और एसईसीएल की होगी।

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