रामेश्वर मरकाम, धमतरी। पिछले साल के मुकाबले इस बार मानसून काफी कमजोर साबित हुआ है पस्त मानसून के चलते जिले में सूखे के हालत बनने लगे हैं। जुलाई माह में बारिश से फसलों की बुआई तो हो गई, पर भरपूर पानी न बरसने के कारण बोई गई फसलों के सूखने के आसार अब बढ़ने लगे हैं। किसान भारी भरकम लागत लगाकर निजी संसाधनों से सिंचाई की व्यवस्था कर फसलों को बचाने के प्रयास जुगत मे लग गए हैं, पर उनके प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। किसानों का मानना है कि आने वाले दिनों में बारिश नही हुई तो बचे खुचे धान की फसल को सूखने से बचाना मुश्किल हो जाएगा।

धमतरी जिले में खरीफ की फसल में धान प्रमुख है । वहीं जिले के मगरलोड और नगरी ब्लॉक ऐसे है जहां किसानो को आसमान पर निर्भर होना पड़ता है। एन वक्त में बारिश न होने से यह पूरा क्षेत्र सूखे की चपेट में आ गया है। इन इलाको में फसलों की सिंचाई के लिए बेहत्तर सुविधाएं नहीं है लिहाजा किसानों को दिक्कतें हो रही हैं।

दरअसल नगरी इलाके के उप तहसील कुकरेल मे करीब 105 गांव आते है जहां ज्यादातर लोग कृषक कार्य से जुड़े हुए हैं।  लेकिन मौजूदा वक्त में इस इलाके के 80 प्रतिशत गावो में सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है। क्षेत्र के किसान सिंचाई सुविधाओं की काफी लंबे समय मांग कर रहे हैं हालांकि प्रशासन ने किसानो को सिचाई सुविधा देने के लिए इलाके में कई चेक डेम सहित एनीकेट का निर्माण भी कराया है।  लेकिन किसानों का कहना है कि जिन जगहों पर ये डेम बनाया गया है वहां किसानों को कोई सिंचाई सुविधा ही नही मिल पा रही है यहां तक कि बरसात के दिनों में भी इन डेमो में पानी भी नही ठहर पा रहा है।

बहरहाल सूखे से प्रभावित कुकरेल इलाके के सैकड़ों किसानो ने शासन प्रशासन से मुआवजा और सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने सहित रोजगार की मांग की है। वहीं प्रशासन सर्वे करने बाद किसानो को क्षतिपूर्ति राशि मुहैया कराने सहित सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की बात कह रहे है ।