जूना अखाड़े से जुड़े पायलट बाबा के उत्तराधिकारियों को लेकर चल रही चर्चाओं पर अब विराम लग गया है। उनकी वसीयत सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने अपनी दो प्रमुख शिष्याओं, चेतना गिरी और श्रद्धा गिरी, को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है।
पायलट बाबा का 20 अगस्त को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार 22 अगस्त को हरिद्वार में उनके आश्रम में जूना अखाड़े की परंपरा के अनुसार संपन्न हुआ।
कौन है पायलट बाबा
पायलट बाबा, जिनका असली नाम कपिल सिंह था, भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर के पद पर रह चुके थे और 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पायलट बाबा ने सैन्य जीवन के बाद संन्यास धारण कर लिया और जूना अखाड़े से जुड़ गए। 1998 में उन्हें जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का पद प्राप्त हुआ और 2010 में उन्हें उज्जैन के जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर का पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया।
क्या है पायलट बाबा की वसीयत
अब पायलट बाबा की वसीयत के अनुसार, उनकी शिष्याएं चेतना गिरी और श्रद्धा गिरी न केवल जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर हैं, बल्कि अब उन्हें बाबा के विभिन्न आश्रमों और संपत्तियों की देखरेख का भी जिम्मा सौंपा गया है। उनके नेतृत्व में भक्तों की एक कमेटी इन सभी संपत्तियों का प्रबंधन करेगी।
हरिद्वार में पायलट बाबा के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में साधु-संत और स्थानीय लोग जुटे थे। उनके निधन के बाद अब उनका उत्तराधिकार उनके शिष्याओं के हाथों में सुरक्षित है, जो उनकी परंपरा और शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगी।
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