रायपुर। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में कथित 2 हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव और सांसद विजय बघेल ने कांग्रेस को एक बार फिर से घेरा है. कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आज एक संयुक्त प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में व्यापक पैमाने में हुए भ्रष्टाचार हुआ है.

प्रेस वार्ता में किरण देव ने कहा कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में व्यापक और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. कांग्रेस सरकार में संगठित होकर व्यापक पैमाने में शराब घोटाला किया गया है. ED-EOW ने जब इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करना शुरू किया तो काफी हंगामा में मचाया गया. अनवर ढेबर और अनिल टूटेजा ने सिंडीकेट बनाकर शराब नीति बदली और घोटाला किया गया. इसके अलावा अवैध कमाई के लिए शराब नीति भी बदली गई और 2161 करोड़ का घोटाला किया.विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे हाईकोर्ट के फैसले में वो आज सच साबित हुए हैं. शराब घोटाले को लेकर की गई EOW और ACB की अब तक की कार्रवाई में किसी प्रकार कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है. इस जांच के खिलाफ लगाई है याचिका को भी खारिज कर दिया गया है. कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं करती इसलिए समय-समय पर उन पर सवाल उठाती रहती है.

किरण देव ने कहा कि शराब घोटाले पर पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय बिलासपुर के एक महत्वपूर्ण फैसले में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा किए घोटाले की कलई एक बार और खोल दी है. इस फ़ैसले से भाजपा द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों की एक बार फिर से पुष्टि हुई है. बिलासपुर उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ जबकि सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू व एसीबी के खिलाफ दायर की गई थी.याचिकाओं में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में ईडी की पुनः की जा रही कार्रवाई और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज एफआइआर को चुनौती देते हुए उन्हें ख़ारिज करने की मांग की थी.

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, अरूणपति समेत अन्य आरोपियों द्वारा जांच एजेंसियों के खिलाफ दायर कुल 13 याचिकाओं को एक साथ ख़ारिज कर दिया है. अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि एक संगठित अपराध की तरह इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था ऐसा लग रहा है. न्यायालय ने ईडी, एसीबी, ईओडब्लू आदि की जांच आदि के काम में किसी भी तरह की अनियमितता के तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया है, इससे यह एक बार फिर यह साबित हुआ है कि कांग्रेस अपने अपराधों को छिपाने के लिए लगातार एजेंसियों पर हमलावर थी. न्यायालय ने साफ-साफ यह कहा है कि ईडी, ईओडबलू और एसीबी ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार ही अलग-अलग कारवाईयां की है इस पर अभियुक्तों द्वारा लगाए सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए, एफआइआर/ईसीआइआर रद्द करने के सभी मांगों को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

किरण देव ने कहा कि इससे अधिक पुख्ता और क्या-क्या साक्ष्य चाहिए यह साबित करने के लिए कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने अपने सिपहसलारों के माध्यम से जमकर न केवल छत्तीसगढ़ को लूटा बल्कि पूरी कांग्रेस सरकार एक अंडरवर्ल्ड और माफिया जैसा चल रही थी.

सांसद विजय बघेल ने कहा कि एक मोटे आकलन के अनुसार पचास हज़ार करोड़ से अधिक का घोटाला अपने पांच सालों के शासन में कांग्रेस ने किया. इसके सरगना निस्संदेह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे, जिन्हें एजेंसियों ने ’पोलिटिकल मास्टर’ कहा है. प्रदेश की जनता के संसाधनों को लूट कर 10, जनपथ का एटीएम बनाने की सजा कांग्रेस को अवश्य मिलेगी. कोई भी हथकंडा कांग्रेसी अपराधियों को बचा नहीं सकती है. कांग्रेस लाख अराजकता फैलाने की साजिशें रच ले, किंतु कानून के हाथ इनके गिरेबान तक पहुंचे बिना नहीं रहेंगे. जनता को न्याय दिलाने, उनके संसाधनों को लूटने वालों कोजेल के सीखचों के पीछे पहुंचने से जॉर्ज सोरोस या राहुल गांधी समेत दुनिया को कोई ताकत उन्हें रोक नहीं सकती.

किरण देव ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार विश्व की शायद एकमात्र सरकार थी जिन्होंने अपने राजस्व पर संगठित तरीके से डाका डाला. भाजपा महिला मोर्चा ने मई 2023 में इस मामले को लेकर पूरे प्रदेश में चक्का जाम भी किया था.

न्यायालय ने यह कहा

  1. संबंधित एफआईआर के अवलोकन से, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा नहीं किया गया है।
  2. इसके अलावा, जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अपराधों की प्रकृति से राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और अपराध की अनुमानित आय लगभग रु। 2161 करोड़.
  3. एफआईआर में नौकरशाहों, राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों सहित 70 नामित व्यक्ति हैं और वर्तमान में यह एक संगठित अपराध का मामला है जिसे जांच एजेंसियों द्वारा तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है.
  4. राज्य पुलिस प्रतिवादी राज्य/एसीबी ईओडब्ल्यू या ईडी की कोई भी कार्रवाई पीएमएलए के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन या सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं पाई गई है.