Work-Life Balance: हमारा शरीर, एक मशीन की तरह है. बस मशीन और हमारे शरीर के बीच इतना ही फर्क है कि मशीन चीजों को महसूस नहीं कर सकती. भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती है. हम और आप कर सकते हैं. जिस तरह से एक मशीन को एक निश्चित समय चलाने के बाद रेस्ट दिया जाता है, ठीक वैसे ही शरीर को भी रेस्ट चाहिए होता है. मगर, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां काम का प्रेशर बहुत अधिक है. सवाल यह है कि आखिर कैसे हम अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल बैठाया जाए. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या करें कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ प्रभावित न हो.

तालमेल कैसे बैठाएं?

अगर, हम पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल (Work-Life Balance) नहीं बैठाते हैं तो उलझते चले जाते हैं. मुश्किलें पढ़ती चली जाती हैं और फिर रास्ता बंद होता दिखाई देता है. समझिए, जैसे- बार-बार ईमेल चेक करना. मैसेजिस का जवाब देना. यह निरंतर कनेक्टिविटी लत बन गई है. इसे तोड़ना होगा.

टाइम मैनेजमेंट

लोग अपनी शिफ्ट से ज्यादा काम करते हैं, ताकि ज्यादा इंसेटिव बने. मगर, यह सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे बेहतर है कि आप जितने घंटे की शिफ्ट में काम कर रहे हैं, उसमें अपना 100 % दें. इससे क्वालिटी इंप्रुव होगी. अगर, आप रोजाना रूक कर काम करेंगे तो आप पर उम्मीदों का भार बढ़ेगा.

‘say नो’

यह इंसानी फितरत है कि हम नई जगह जाते हैं और आसानी से खुद को एडजस्ट नहीं कर पाते. हमारे सामने यह दिक्कत बनती है कि हम “ना” नहीं कहते. ना कहना आपको बुरा नहीं दिखाता है, बल्कि इससे या साफ होता है कि आप अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ अपने बारे में भी सोच रहे है.इसलिए तो ‘से नो’.

प्रेशर को महसूस करें

एक समय तक हमको अपने ऊपर पड़ रहे बोझ का एहसास नहीं होता है. चाहें वो घर का हो या फिर ऑफिस के काम का. इससे थकान, शरीर में दर्द, बार-बार सिरदर्द, छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा तनाव और चिंता दिखाई देने लगती है. अगर, ऐसा है तो अपने घर, दफ्तर के लोगों के साथ काम सांझा कर लें.

छुट्टियां लें

यह आपका हक है और यही मेंटल रिलेक्स देती हैं. प्रोफेशनल लाइफ में सालभर में कुछ छुट्टियां मिलती हैं. मगर, कुछ लोग साल-साल छुट्टियां नहीं लेते. सोचते हैं, छुट्टी लेने से कोई फायदा नहीं होगा, उल्टा नुकसान होता है. मगर, ऐसा नहीं है. वीक ऑफ लें. साथ ही साल में एक बार तय छुट्टी लें. फैमिली ट्रिप पर जरुर जाएं.