सत्या राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ में निरक्षरों को साक्षर बनाने अच्छी पहल की गई है. प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए दसवीं-बारहवीं बोर्ड कक्षा के विद्यार्थी स्वयंसेवी शिक्षक बन सकते हैं. निरक्षरों को साक्षर करने में उनको दस अंक का बोनस दिया जाएगा.

राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण और एससीईआरटी के संचालक राजेंद्र कुमार कटारा ने कहा कि प्रदेश के असाक्षरों को गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन कर ही उन्हें मार्च 2025 की बुनियादी साक्षरता परीक्षा में बैठना है. इसके लिए प्रदेश में उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के लिए वातावरण तैयार किया जाना है.1 से 7 सितंबर तक साक्षरता सप्ताह का आयोजन कर प्रदेश के सभी वर्गों के लिए अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है. 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय उल्लास मेला पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के चुने हुए गतिविधियों के 10 स्टाल लगाए जाएंगे. इस कार्यक्रम का प्रसारण सभी जिलों में ब्लॉक मुख्यालयों में और पंचायत स्तर पर सीधे किया जाएगा. प्रत्येक स्तर पर यह कार्यक्रम आयोजित होंगे. पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री उल्लास साक्षरता केंद्रों का शुभारंभ करेंगे.

संचालक एससीईआरटी में आयोजित उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए आयोजित राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के उपलक्ष में राज्य स्तरीय उल्लास मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक सहित जनप्रतिनिधि शिरकत करेंगे. बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए नवाचारी गतिविधियों पर केंद्रित प्रदर्शनी भी मेले में लगाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि जिले में गैर राजनीतिक व्यक्तियों को उल्लास कार्यक्रम के लिए ब्रांड एंबेसडर भी बनाया जाएगा. सभी जिले पूर्ण मनोयोग से उल्लास पोर्टल में शिक्षार्थियों व स्वयंसेवी शिक्षकों की एंट्री अति शीघ्र पूर्ण कराएं. उन्होंने यह भी कहा कि 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षा के शिक्षार्थियों को स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में चयन कर सघन मॉनिटरिंग किया जाए, ताकि सही व्यक्ति को ही बोनस अंक प्राप्त हो सके. उन्होंने आज उपस्थित जिला अधिकारियों को उल्लास शपथ भी दिलाई.

कार्यक्रम के प्रारंभ में उल्लास कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी प्रशांत पांडेय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा अनुशंसित उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने प्रदेश में वातावरण निर्माण के लिए अपनाई जा रही विभिन्न प्रक्रिया पर एक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी दिया. उन्होंने बताया कि उल्लास प्रवेशिका व उल्लास स्वयं सेवी शिक्षक मार्गदर्शिका एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों में पहुंच जाएगी, जिसके 200 घंटे की पढ़ाई के पश्चात ही उन्हें परीक्षा में बैठाया जाना है.

पांडेय ने सीखने सिखाने की नवाचारी गतिविधि पर जोर देते हुए कहा कि हमें प्रत्येक जिले में नवाचारी शिक्षकों की सहायता से ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है, जो स्थानीय संसाधनों से प्राप्त होते हैं. उन्होंने जादुई पिटारा एवं स्थानीय संसाधन जैसे सब्जी लकड़ी रेत गिट्टी इत्यादि के उपयोग कर सीखने सिखाने की गतिविधियों पर जोर दिया. उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रोग्राम के लिए सबसे पहले जिले में कुशल प्रशिक्षक तैयार किए जाने हैं. प्रत्येक संकुल प्रभारी को प्रशिक्षण देकर प्रत्येक संकुल में स्वयंसेवी शिक्षकों को सीधे प्रशिक्षण दिए जाकर उन्हें सक्षम बनाना है.

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