नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा 21 अगस्त को पारित प्रस्ताव पर विवाद गहरा गया है. पूर्व अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने मांग की है कि वर्तमान अध्यक्ष कपिल सिब्बल या तो पारित विवादास्पद प्रस्ताव वापस लें या एससीबीए के प्रत्येक सदस्य से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगें. ऐसा न करने पर सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के वर्तमान अध्यक्ष कपिल सिब्बल को लिखे पत्र में आदिश सी. अग्रवाल ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुखद बलात्कार और हत्या से संबंधित प्रस्ताव पर गंभीर चिंता व्यक्त की.

अग्रवाल के पत्र में सिब्बल की एससीबीए के कथित प्रस्ताव को जारी करने के लिए आलोचना की गई है, जिसमें इस घटना को “लक्षणात्मक अस्वस्थता” बताया गया है, और सुझाव दिया गया है कि ऐसी घटनाएं आम बात हैं.

अग्रवाल ने कहा कि इस प्रस्ताव को एससीबीए की कार्यकारी समिति द्वारा आधिकारिक रूप से अनुमोदित नहीं किया गया था, जिससे यह अमान्य हो गया. उन्होंने सिब्बल पर घटना की गंभीरता को कम करने के लिए अपने पद का उपयोग करने और संबंधित मामलों में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए इस तरह के बयान देकर हितों के टकराव को प्रदर्शित करने का आरोप लगाया. पत्र में मांग की गई है कि सिब्बल प्रस्ताव वापस लें और 72 घंटे के भीतर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगें. ऐसा न करने पर सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.

आदिश सी. अग्रवाल ने कपिल सिब्बल को लिखे पत्र में आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले की गंभीरता को कम करने के सिब्बल के प्रयास की आलोचना की है, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय और सीबीआई द्वारा गंभीर जांच के अधीन है. अग्रवाल ने तर्क दिया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का उल्लेख करके और एससीबीए का कथित प्रस्ताव जारी करके सिब्बल ने न केवल न्यायालय और जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया है, बल्कि एससीबीए अध्यक्ष की भूमिका की विश्वसनीयता और अखंडता को भी नुकसान पहुंचाया है. अग्रवाल का तर्क है कि इस कार्रवाई से चिकित्सा और कानूनी समुदाय को गहरी ठेस पहुंची है और इससे एससीबीए की प्रतिष्ठा पर भी आंच आई है.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति (ईसी) के कई सदस्यों ने भी एससीबीए अध्यक्ष कपिल सिब्बल द्वारा आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना के संबंध में जारी किए गए प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की है. उनका आरोप है कि 21 अगस्त, 2024 की तारीख वाले इस प्रस्ताव पर सिब्बल ने हस्ताक्षर किए थे, और कार्यकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत या अनुमोदित किए बिना एससीबीए के लेटरहेड पर प्रसारित किया गया था.