लक्षिका साहू, रायपुर. रायपुर में प्रदेश में बढ़ते अपराध के मामलों को लेकर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सितंबर से पुलिस महकमे में एक बड़ी पहल की जाएगी. इसके तहत सभी रेंज के एसपी ऑफिस में बैठकें की जाएंगी, जिनमें एसपी और थानेदारों के की-परफॉरमेंस (Key-Performance) तय की जाएगी. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 2021 से 2023 तक के आंकड़ों की तुलना में 2024 के जनवरी से जून तक अपराधों की संख्या कम है, लेकिन यह संतुष्टि का विषय नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि कम अपराध भी सरकार और समाज के लिए चिंता का विषय हैं, और कठोरता से कार्रवाई की जाएगी.

नक्सलवाद के खात्मे के लिए प्राण और मन से जुटेंगे: गृह मंत्री शर्मा

वहीं उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री के अमित शाह के आगामी कुछ महीनों में नक्सलवाद के खात्मे को लेकर दिये गए बयान को लेकर बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संकल्प बड़ा है. पिछले कुछ महीनों में अभियानों के तहत जवानों ने कमाल कर दिखाया है, सभी प्रशंसा के हकदार हैं. हम नक्सलवाद से देश और प्रदेश को मुक्त कराने के लिए प्राण और मन से जुटेंगे. उन्होंने कहा कि तय समय सीमा में बस्तर के लोगों और गांव के विकास के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा.

सरेंडर पॉलिसी में जोड़ी जाएंगी और भी सुविधाएं

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सरेंडर पॉलिसी को लेकर भी उपमुख्यमंत्री ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि सामाजिक विश्वास जीतने में समय लगता है, और जंगल से लौटने के बाद जीवन को व्यवस्थित करना कठिन होता है. इसलिए, सरेंडर पॉलिसी में और भी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी, ताकि सरेंडर करने वाले लोग जीवन को सुचारू रूप से आगे बढ़ा सकें.

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने यह भी बताया कि बस्तर के सरेंडर किए गए लोगों के साथ विशेष व्यवहार किया जाता है, जहां उन्हें सात दिन के अंदर गन पकड़ाकर गनमैन बनाया जा सकता है. बस्तर के लोग विश्वसनीय होते हैं और एक बार निर्णय लेने के बाद पीछे नहीं हटते. हालांकि, जंगलों में लंबा समय बिताने के बाद जीवन को फिर से व्यवस्थित करने में कठिनाइयां आती हैं, जिसके समाधान के लिए यह पहल की जा रही है.

चार आयामों पर हो रहा काम

नक्सलवाद खात्मे को लेकर उन्होंने बताया कि बस्तर में चार आयामों पर काम हो रहा है. 13 से 18 साल के बच्चों और जवानों को घर से उठाकर नक्सली बना दिया जाता है, इसके लिए भी गतिविधियां की जा रही है. पीड़ितों के लिए कुछ एनजीओ सामने आये हैं और सरकार की ओर से भी काम हो रहा है. सभी पर कार्य किया जा रहा है.  बस्तर के लोग सुरक्षित और उनकी संस्कृति संरक्षित रहे, इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं.