कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर के फूलबाग स्थित 105 साल पुराने गोपाल मंदिर का जन्माष्टमी पर्व देशभर में प्रसिद्ध है। सिंधिया राजवंश द्वारा बनवाए गए इस मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण की अद्भुत प्रतिमाएं हैं, जो जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष सजावट और पूजा-अर्चना का केंद्र बनती हैं।

आज जन्माष्टमी के दिन मंदिर में 24 घंटे का उत्सव मनाया जा रहा है। भगवान राधा-कृष्ण को सिंधिया रियासत कालीन 100 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के आभूषणों से सजाया गया है। इन गहनों में हीरे, मोती, पन्ना जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। मंदिर में सालभर इन गहनों को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन इन्हें भगवान के श्रृंगार के लिए बाहर लाया जाता है।

नगर निगम के अधिकारियों द्वारा दिन के ठीक 12 बजे भगवान राधा-कृष्ण का इन गहनों से श्रृंगार कर महाआरती की गई। इस विशेष अवसर पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने भगवान के इस सजीले स्वरूप के दर्शन किए।

गोपाल मंदिर का इतिहास और आभूषणों का महत्व


गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने करवाई थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के लिए पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, हीरे जड़े कंगन, मोती की माला, और स्वर्ण मुकुट शामिल हैं।

1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद इन एंटीक गहनों को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखा गया। 2007 में तत्कालीन महापौर की पहल पर सरकार ने जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को भगवान के श्रृंगार के लिए पुनः उपयोग करने की अनुमति दी। तब से हर साल जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को इन बेशकीमती आभूषणों से सजाया जाता है और वे 24 घंटे तक इस दिव्य स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

भक्तों की श्रद्धा और मान्यताएं


भक्तों का मानना है कि इन रत्न जड़ित गहनों से सजे राधा-कृष्ण के दर्शन से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इस भव्य स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस साल भी भक्तों का तांता लगा हुआ है, और मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।

इस वर्ष के विशेष आयोजन


मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस बार जन्माष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिसके अंतर्गत गोपाल मंदिर में विशेष लाइटिंग और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है। श्रद्धालु वैष्णवी और अंजली ने बताया कि इस अद्भुत आयोजन के बीच भगवान के दिव्य स्वरूप के दर्शन करने का उनका सपना पूरा हुआ।

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