कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एजेंसी ने उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में मामला दर्ज किया है.

एजेंसी ने आईपीसी की धारा 120बी के साथ आईपीसी की धारा 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 लगाई है, जो किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अवैध रूप से रिश्वत लेने से संबंधित है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि ये सभी मामले एक साथ मिलकर संज्ञेय अपराध हैं और गैर-जमानती प्रकृति के हैं. घोष के अलावा, सीबीआई ने हावड़ा के मध्य जोरहाट, बानीपुर के मेसर्स मा तारा ट्रेडर्स, कोलकाता के बेलगछिया के जेके घोष रोड के 4/1, एच/1 के मेसर्स ईशान कैफे और एक मेसर्स खामा लौहा के खिलाफ भी मामले दर्ज किए हैं.

राज्य स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव देबल कुमार घोष द्वारा दर्ज की गई लिखित शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल से जांच अपने हाथ में लेने के बाद शनिवार को एफआईआर दर्ज की गई थी. इस दल का गठन पश्चिम बंगाल सरकार ने 9 अगस्त को एक महिला चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या के बाद किया था.

आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर यह आदेश जारी किया गया था, जिन्होंने संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच का अनुरोध किया था.

अली ने सार्वजनिक डोमेन में इस बात पर तीखी अटकलों के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था कि क्या संस्थान में कथित भ्रष्टाचार किसी भी तरह से चिकित्सक की मौत से जुड़ा है, जिसमें पीड़ित के उन तक पहुंच होने की संभावना है और इससे उजागर होने का खतरा है.

अली ने यह भी आरोप लगाया था कि घोष के खिलाफ एक साल पहले राज्य सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष दायर की गई उनकी शिकायतों का कोई नतीजा नहीं निकला और इसके बजाय, संस्थान से उनका खुद का तबादला हो गया.

उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में अली ने घोष पर लावारिस शवों की अवैध बिक्री, बायोमेडिकल कचरे की तस्करी और दवा और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दिए गए कमीशन के खिलाफ निविदाएं पारित करने का आरोप लगाया. अली ने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों पर परीक्षा पास करने के लिए 5 से 8 लाख रुपये के बीच की राशि का भुगतान करने का दबाव डाला गया था.

घोष फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत थे. उन्हें उसी वर्ष अक्टूबर में चिकित्सा प्रतिष्ठान से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वे बेवजह उस पद पर वापस आ गए. वह उस दिन तक अस्पताल में पद पर बने रहे, जिस दिन डॉक्टर की हत्या हुई थी.

आरजी कर अस्पताल में अपराध के प्रकाश में आने के बाद घोष को उनकी कुर्सी से हटा दिया गया था और ममता बनर्जी सरकार द्वारा कुछ ही घंटों के भीतर कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उसी पद पर बहाल कर दिया गया था. इसके बाद सीएनएमसी के छात्रों के भारी प्रतिरोध और भ्रष्टाचार की जांच लंबित रहने के कारण उन्हें अनिश्चितकालीन छुट्टी पर जाने को कहा गया.

सीबीआई ने रविवार को भ्रष्टाचार के मामलों के सिलसिले में घोष के कोलकाता में बेलियाघाटा स्थित आवास पर एक दिन का तलाशी अभियान चलाया. घोष से एजेंसी ने लगातार 10 दिनों तक पूछताछ की और बलात्कार और हत्या की जांच के सिलसिले में सोमवार को उनका पॉलीग्राफ टेस्ट किया.

सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में पूछताछ के लिए अस्पताल के पूर्व अधीक्षक संजय वशिष्ठ और उसके फोरेंसिक डेमोस्ट्रेटर देबाशीष सोम को भी एजेंसी के निजाम पैलेस कार्यालय में तलब किया.