तनवीर खान, मैहर। मैहर जिले से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित करौंदिया गांव, जो कि न्यू रामनगर नगर परिषद के वार्ड नंबर 4 का हिस्सा है, वहां के ग्रामीण पिछले 25 साल से एक छोटे से पुल के निर्माण की मांग कर रहे हैं। इस दौरान कई सरकारें और नेता आए और गए, लेकिन ग्रामीणों की यह छोटी सी मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। हर चुनाव के समय ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन पुल का निर्माण एक सपना ही बनकर रह गया।

बरसात के मौसम में नदी के बहाव के कारण ग्रामीणों द्वारा बनाए गए अस्थाई पुल बार-बार बह जाते हैं, जिससे ग्रामीण घरों में कैद होकर रह जाते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और किसानों का खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में भारी बारिश के चलते फिर से ग्रामीणों का बनाया लकड़ी का पुल बह गया, जिससे ग्रामीणों को 10 दिनों तक घरों में कैद रहना पड़ा।

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सूचना मिलने पर मैहर कलेक्टर ने 10 दिनों के भीतर पुल बनवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन समय बीतने के बाद भी ग्रामीणों को पुल नसीब नहीं हुआ। अंततः ग्रामीणों ने एक जुटता का परिचय देते हुए पुनः लकड़ी का पुल तैयार कर लिया। पिछले 2 दशकों से प्रशासनिक उदासीनता का शिकार हो रहे करौंदिया गांव के लोगों ने इस बार एकजुट होकर अपने लिए रास्ता बना लिया। ग्रामीणों ने बताया कि, पिछले 11 दिनों से घरों में कैद होने के बाद भी जब जिला प्रशासन ने फरियाद नहीं सुनी तक सभी ने लकड़ी का पुल बनाया और तट पार करना शुरू कर दिया। कहने के लिए यह गांव नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है। कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को इस बारे में उचित कदम उठाने का आग्रह किया। लेकिन उन्हें हर बार केवल आश्वासन मिले। पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने भी 10 दिन के अंदर रास्ता और पुल की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हुआ।

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