नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में एक बार फिर से स्पष्ट किया कि धन शोधन के मामलों में भी “जमानत एक नियम है और जेल अपवाद” के सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले प्रेम प्रकाश को अवैध खनन से संबंधित धन शोधन मामले में जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।

बता दें कि जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि ‘धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों में भी ‘जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है। पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि पीएमएलए की धारा 45 सिर्फ यह तय करती करती है कि धन शोधन के अपराध में जमानत प्रदान करना दो शर्तों के अधीन होगा और इस कानून का यह प्रावधान मूल सिद्धांत को नहीं बदलता है कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद। शीर्ष अदालत ने कहा है कि ‘पीएमएलए की धारा 45 में सिर्फ यह उल्लेख है कि जमानत देने के लिए दोहरी शर्तों को पूरा किया जाना है। लेकिन ‘जमानत एक नियम है और जेल अपवाद का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का एक संक्षिप्त विवरण है जिसमें कहा गया है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम होती है और किसी चीज से वंचित करना अपवाद है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वंचित केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा की जा सकती है जो वैध और उचित होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत केवल इतना ही आवश्यक है कि जिन मामलों में जमानत दोहरी शर्तों की संतुष्टि के अधीन है, उन शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि ‘इसलिए हमने माना है कि धन शोधन के मामलों में भी जमानत एक नियम है और जेल अपवाद।

शीर्ष अदालत ने 9 अगस्त को आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा था कि ‘जमानत एक नियम है और जेल अपवाद। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया मामले में पारित फैसले में अपनी टिप्पणियों को इस मामले भी दोहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए झारखंड में अवैध खनन घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में आरोपी प्रेम प्रकाश को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले प्रेम प्रकाश ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने रांची उच्च न्यायालय के 22 मार्च के फैसले को रद्द करते हुए प्रेम प्रकाश को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक