अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार. प्रदेश में सरकार लगातार विकास के दावे कर रही है. इसी बीच बलौदाबाजार जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रशासनिक उदासीनता और विकास को लेकर खोखले दावों की पोल खोल कर रख दी है. बड़ी घोषणाओं से पहले देख का अंतिम नागरिक मूलभूत सुविधाओं का हकदार होता है, लेकिन जिले में देश का भविष्य गढ़ने वाले स्कूली छात्र आज जूता हाथ में लिए कीचड़ से भरे रास्तों से गुजर कर स्कूल जाने को मजबूर हैं.

दरअसल बलौदाबाजार के गांव मरदा में गलियों और सड़कों की हालत ऐसी है कि चलना दुभर है. वही कीचड़ इतना की चार पहिया वाहनों को निकलने में तकलीफ होती है और टोचन देकर उन्हें बाहर लाया जाता है. इस समस्या का सामना केवल बड़े बूढ़े ही नहीं बल्कि स्कुली बच्चों को भी करना पड़ रहा है. छात्रों को स्कूल तक पहुंचने और वापिस घर जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि खराब सड़कों की प्रमुख वजह रेत का अवैध और ओव्हरलोड हाईवा वाहनों का परिवहन है, जिसमें सड़क के भार सहने की क्षमता से कही अधिक रेत भरकर परिवहन किया जाता है. वहीं शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

गांव की कीचड़ भरी गलियों में भी चलना दुभर हो गया है. ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा बताते हुए बताया कि सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती है, जब कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाता है. ऐसे में बीमार को अस्पताल लेजाने में भी काफी तकलीफ होती है. लोग इन रास्तों पर चलते-चलते कीचड़ में गिर जाते हैं. उनके कपड़े गंदे और खराब हो जाते हैं. इतना ही नहीं, कीचड़ में चलने के लिए उन्हें अपने जूते-चप्पल भी हाथ में उठाकर चलना पड़ता है.

ग्रामीणों का आरोप है कि इन परेशानिय़ों को लेकर वे कई बार पंचायत में और विधायक के पास शिकायत की है और मूलभूत सुविधा को लेकर मांग की है. इसके बाद भी कोई जनप्रतिनिधि या प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

इसके अलावा कमोबेश जिले में भी सड़कों की हालात ऐसी ही हैं, जिसका कारण निर्माण के समय गुणवत्ता का ध्यान नही रखना है. इसके साथ ही सड़क निर्माण के समय पर अधिकारी गुणवत्ता जांच करने भी नहीं आते, जिसके कारण ठेकेदार भ्रष्टाचार कर मनमानी करते हैं. जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आमजनों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं.