वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट ने नवगठित मरवाही नगर पंचायत की राज्य सरकार से मनोनित परिषद को भंग करने का निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि मरवाही, कुम्हारी और लोहारी ग्राम पंचायतों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से एक महीने के भीतर नई परिषद का गठन किया जाए. मामले को लेकर मरवाही सरपंच प्रियदर्शनी नहरेल ने हाईकोर्ट में 11 लोगों पक्षकार बनाते हुए याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू ने आदेश जारी किया है.

दरअसल राज्य शासन ने मरवाही, कुम्हारी और लोहारी ग्राम पंचायतों को मिलाकर मरवाही नगर पंचायत बनाया था, और राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर भाजपा नेता किशन ठाकुर को नवगठित मरवाही नगर पंचायत का अध्यक्ष बनाया गया, साथ ही 8 अन्य नगर पंचायत परिषद के सदस्य मनोनीत किये गये थे, लेकिन इन तीनों ग्राम पंचायतों के सरपंचों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया. जिस पर मरवाही ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच प्रियदर्शिनी नहरेल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नगर पंचायत के गठन को चुनौती दी थी. याचिका में उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के कलेक्टर, नवनियुक्त अध्यक्ष और आठ पार्षदों सहित कुल 11 लोगों को पक्षकार बनाया.

जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की बेंच ने मामले की सुनवाई 16 जुलाई को पूरी हुई, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा है, कि समिति गठन की प्रक्रिया में त्रुटि हुई है. जिसके चलते 27 जून को जारी अधिसूचना को रद्द किया जाता है. साथ ही कोर्ट ने नई परिषद का गठन एक महीने के भीतर करने के निर्देश दिए हैं. नई समिति के गठन होने तक वर्तमान समिति कार्य करती रहेगी.