छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्हें महाराष्ट्र और पूरे देश में एक महानायक माना जाता है, उनकी प्रतिमा के आंधी में गिरने का मामला राज्य सरकार के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गया है. इस घटना ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है, और वे किसी भी तरह इस संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.
चुनावी मौसम के बीच, शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है. इसी कारण, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पैर छूने और माफी मांगने के लिए सौ बार तैयार हैं. उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज महाराष्ट्र में पूजनीय हैं और उन्हें राजनीति से अलग रखना चाहिए.
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सिंधुदुर्ग में इस मूर्ति के गिरने पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वे महाराष्ट्र की 13 करोड़ जनता से हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं और यह घटना उनके लिए एक सदमे के समान है. पवार ने यह भी कहा कि इस मामले में दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का वादा किया.
मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र का संरक्षक देवता बताते हुए, उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया और कहा कि वे 100 बार उनके पैर छूने और माफी मांगने के लिए तैयार हैं. वहीं, भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस घटना पर दुख जताया, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रतिमा का निर्माण भारतीय नौसेना की देखरेख में हुआ था, जिसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. फडणवीस ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इससे भी बड़ी शिवाजी की प्रतिमा लगाएगी और उनके सम्मान को बनाए रखेगी.
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महाराष्ट्र की राजनीति और समाज में शिवाजी महाराज का सम्मान एक संवेदनशील विषय है. किसी भी नेता या दल के लिए उनकी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर राजनीति करना अनिवार्य है. इस परिस्थिति में, यदि यह मुद्दा चुनाव तक खिंचता है, तो एनडीए गठबंधन को इसका नुकसान हो सकता है.
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