नई दिल्ली. इंडोनेशिया और जापान समेत कई देश प्राकृतिक आपदा का सामना कर चुके हैं. अमूमन सूनामी की लहरें भूकंप, जमीन धंसने, ज्वालामुखी फटने या किसी तरह की विस्फोट की वजह से उठती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका एक कारण जलवायु परिवर्तन भी हो सकता है. इसका दावा लगभग छह माह पहले एक अध्ययन में किया गया था. यह अध्ययन साइंस एडवांसेस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ था.
दरअसल इस अध्ययन की मानें तो जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र के जल स्तर में थोड़ी सी वृद्धि सुनामी का खतरा बढ़ा सकती है. इसके अनुसार भूंकप के बाद आने वाली सुनामी से तटीय शहरों के अलावा दूर-दूराज में बसे शहरों और रिहायशी इलाकों पर भी खतरा मंडरा रहा है और भविष्य में छोटी सुनामी से भी काफी तबाही हो सकती है.
शोधकर्ताओं ने इसके लिए 2011 में जपान में आए भूकंप का उदाहरण दिया. इस दौरान तोहोकु ओकी में आए भूकंप के बाद सुनामी से उत्तरी जापान का हिस्सा तबाह हो गया था और इससे एक परमाणु संयंत्र को भी भयानक क्षति पहुंची थी, जिससे रेडियोएक्टिव प्रदूषण भी हुआ.
इस अध्ययन में पाया गया कि समुद्र के जल स्तर में 8.8 तीव्रता के भूकंप से मकाउ डूब सकता है. कृत्रिम जल स्तर में 1.5 फुट की वृद्धि से सुनामी का खतरा 1.2 से 2.4 बार बढ़ गया है जैसे और कई चौकाने वाले खुलासे हुए थे. माना जाता है कि मकाउ में वर्ष 2060 तक जलस्तर 1.5 फुट और 2100 तक 3 फुट तक बढ़ जाएगा. दक्षिण चाइना समुद्र में सूनामी का बड़ा खतरा मुख्य रूप से मनीला ट्रेंच से है. मनीला ट्रेंच में 1560 के दशक से लेकर अब तक 7.8 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप नहीं आया.