श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व शनिवार से शुरू हो रहे है. पर्युषण महापर्व के दौरान प्रतिदिन मंदिर जी में व्याख्यान का वाचन भी होगा. जैन धर्म का पर्युषण पर्व, मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देते हैं. इन 8 दिनों जैन धर्मावलंबी व्रत, तप, साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं.

इस वर्ष पर्युषण पर्व 31 अगस्त 2024 से शुरू होकर 7 सितंबर 2024 को समाप्त होगा. मान्यतानुसार इस पर्व की स्थापना 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जी ने जैन समाज के गहन-ध्यान, आत्म-संयम और चिंतन में लिप्त रहने के लिए की थी. Read More – Anant Ambani और Radhika Merchant की शादी की रस्में हुईं शुरू, मामेरु रस्म में दिखा पूरा परिवार ...

पर्युषण पर्व का महत्व

पर्युषण पर्व श्वेतांबर और दिगंबर द्वारा मनाया जाता है, हालांकि उनके रीति-रिवाजों में भिन्नताएं हो सकती हैं. पर्युषण पर्व में जैन समाज स्वाध्याय और उपवासन पर जोर देते हैं. यह वक्त आत्मा की शुद्धता और जीवन की वास्तविकता को समझने का होता है. इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है क्षमा याचना की, लोग एक-दूसरे से अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं. Read More – Indias Best Dancer 4 के मंच पर Urfi Javed ने लगाई आग, Terence Lewis के साथ मारे लटके झटके …

इन दिनों में जैन समाज के लोग धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-प्रवचन में भाग लेते हैं. बहुत से लोग इस दौरान साधकों द्वारा ध्यान, साधना और तपस्या में व्यतीत करते हैं, ताकि आत्मा की शुद्धता बनी रहे.पर्व के अंतिम दिवस संवत्सरी महापर्व पर धर्म जागृति का भाव रखकर 8वें दिन कषायों की शांति के लिए क्षमा को धारण करते हुए चिंतन किया जाता है. और ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की साधना को अंगिकार करते हुए छोटे-बड़ों से क्षमायाचना की जाती है.