प्रदीप गुप्ता. कवर्धा. छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव में छेरकी महल के पास खेत की जुताई के दौरान किसान को भगवान गणेश की प्राचीन मूर्ति मिली है. प्राचीन मूर्ति मिलने की जानकारी होने पर ग्रामीणों ने नारियल चढ़ाते हुए मूर्ति की पूजा-अर्चना शुरू कर दी है. वहीं इस प्राचीन मूर्ति मिलने की सूचना भोरमदेव चौकी के साथ बोडला एसडीएम को दी गई.
खेत में प्राचीन मूर्ति मिलने की सूचना के बाद पुलिस व राजस्व विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर जांच की. पुलिस ने मूर्ति का पंचनामा तैयार कर अपने कब्जे में ले लिया है, वहीं पुरातत्व विभाग रायपुर को इसकी सूचना दे गई है. गणेश की मूर्ति के 11वीं शताब्दी में निर्माण की संभावना जताई गई है, क्योंकि इसके पहले भी खुदाई में मिली मूर्तियों के 11वीं शताब्दी में निर्माण होने की पुष्टि पुरातत्व विभाग कर चुकी है.
नागवंशी राजाओं ने बनाया था भोरमदेव मंदिर
ग्राम चैरा में नागवंशी राजाओं द्वारा बनावाया गया भोरमदेव मंदिर स्थित है, वहीं इसके आसपास 11 शताब्दी के ही मडवा महल, छेरकी महल स्थित हैं. सभी की देखरेख पुरातत्व विभाग द्वारा की जा रही है. इन स्थानों के आसपास खुदाई में कई मूर्तियां मिलती रही हैं, सोमवार को भी छेरकी महल से कुछ ही दूरी पर खेत की जुताई करते हुए किसान को जमीन में पत्थर होने का अनुमान लगा, जिसके बाद मिट्टी की खोदाई में गणेश मूर्ति मिली है, यह भी भोरमदेव मंदिर के समकालीन मानी जा रही है.
प्राचीन धरोहर पर हो रहा है कब्जा
जुताई के दौरान मूर्ति मिलने से इस बार फिर पुरातत्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहा है, पुरातत्व महत्व के स्थलों के आसपास कोई भी निर्माण व किसी भी कार्य की मनाही रहती है, लेकिन छेरही महल के चारों ओर हुए कब्जे व खुदाई के कारण पुरातत्व महत्व का यह स्थल अब पहचान खोता जा रहा है.