प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के बिलासपुर रेल मंडल में अधिकारियों की प्रताड़ना से परेशान एक स्टॉफ ने शुक्रवार को बिलारपुर आरपीएफ पोस्ट में ही जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. अच्छी बात ये है कि उक्त स्टॉफ को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां अब वो खतरे से बाहर बताया जा रहा है. लेकिन यहां हो रही अधिकारियों की एक और मनमानी RPF स्टॉफ के एक समूह ने लल्लूराम डॉट कॉम तक पहुंचाया है. आरपीएफ आरक्षकों के इस समूह ने नाम न छापने की शर्त पर  लल्लूराम से अपील की है कि हम इस मुद्दे को उठाएं और मामले रेलवे बोर्ड और RPF आईजी के संज्ञान में लाएं.

दरअसल बिलासपुर रेल मंडल के किसी भी रेलवे स्टेशन में यदि किसी भी यात्री ने चेनपुलिंग कर दी, तो बिलासपुर रेल मंडल के अधिकारी ऑन ड्यूटी स्टॉफ को पुटअप होने के लिए बुलाते है. स्टॉफ के अधिकारी के पास पहुंच जाने के बाद उसे सुबह से शाम तक बिलासपुर आरपीएफ कमांडेंट ऑफिस में बाहर इंतेजार करवाया जाता है. इसके बाद 5 बजे उससे अधिकारी मिलते है, उसे डांट-फटकार लगाई जाती है और उसकी 2-3 दिन की सैलरी या इससे कम या इससे ज्यादा काट दी जाती है.

आरपीएफ आरक्षकों ने पूछे ये सवाल

  • अब आरक्षकों का सवाल ये है कि उनके जगह यदि प्लेटफार्म में RPF के किसी बड़े अधिकारी की ड्यूटी लगा दी जाए तो क्या चेनपुलिंग रूक सकती है ?
  • आरक्षकों का कहना है कि यदि यात्री अपना उचित कारण बताकर भी चेनपुलिंग करता है तो अधिकारी उक्त यात्री के खिलाफ केस दर्ज करने की भी बात कहते है.
  • आरक्षकों का कहना है कि यदि 22 डिब्बों वाली ट्रेन में वे आगे या पीछे है और उसके विपरित ओर चेनपुलिंग यदि किसी यात्री ने कर ली तो इसमें स्टॉफ की क्या गलती है कि आरपीएफ के अधिकारी उनका वेतन काट ले ?
  • आरक्षकों का एक सवाल ये भी है कि बिलासपुर रेल मंडल के अधिकारियों के पास ऐसा कौन सा नियम है जो पूरे भारतीय रेलवे में न होकर सिर्फ यही है और उसी की आड़ में उनका वेतन काटा जा रहा है.

उपरोक्त सभी सवालों के जवाब के लिए लल्लूराम की टीम ने बिलासपुर रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट को 2 बार फोन किया. लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया.