संतोष राजपूत, डोंगरगढ़- छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी को सौंदर्य बनाने सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. वहीं प्रशासनिक पद पर बैठे अधिकारी मुख्यालय में रहने के बजाय जिला मुख्यालय में निवासरत हैं. इस वजह से मुख्य कार्यपालन अधिकारी का सरकारी आवास दो साल से बंद पड़ा है. ताला लगने से घर खण्डहर में तब्दील हो गया है. यहां चलित शौचालय मयखाने का अड्डा बन चुका है. इस बात की जानकारी होने के बावजूद अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं.
मामला डोंगरगढ़ जनपद पंचायत का है, जहां मुख्य कार्यपालन अधिकारी निवास दो वर्षों से बंद पड़ा है. निवास में आज भी तबादला हुए एसके ओझा का नाम लिखा हुआ है जिसका मतलब साफ है तब से कोई भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी अपने मुख्यालय में नहीं रह रहे हैं. जिसके कारण निवास खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है. आसपास कचरा जमा हो गया है. अब आंगन में जहां अधिकारी की गाड़ी खड़ी होती थी, वहां अब चलित बायो शौचालय की दो गाड़ी खड़ी है. जहां सरकारी कामकाज होते थे वहां अब शराबी अपना काम कर रहे हैं. निवास में डिस्पोजल, शराब के बॉटल, पानी पाउच पड़े हुए हैं. अब यह सरकारी निवास कम असमाजिक तत्वों का अड्डा ज्यादा नजर आ रहा है. मुख्य कार्यपालन अधिकारी निवास जनपद पंचायत कार्यालय सभी विभागों के बीच में है. इसके बावजूद इसकी ऐसी दशा से सरकारी कामकाज पर प्रश्न चिन्ह लगता है.
डोंगरगढ़ में इन दिनों सरकारी गाड़ी का सुख भोगने का चलन कुछ इस तरह होने लग गया है कि जो भी जनपद पंचायत अधिकारी आ रहा है वह जिले से 45-45 किलोमीटर दूर से प्रतिदिन आना जाना कर रहे हैं. जबकि इनको अपने मुख्यालय में रहने व सरकारी गाड़ी का उपयोग जनहित कार्यों के दौरे पर आने जाने के लिए दिया गया है पर इन नियमों का पालन करते कोई भी सरकारी कर्मचारी नजर नहीं आ रहा है, जबकि पूर्व में रहे जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेंद्र सिंह को इसी तरह की बात सामने आने पर तबादला किया जा चुका है फिर भी सबक लेने की बजाय अब भी इसी तरह का कार्य बदस्तूर जारी है.