सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के लिए गरीब स्टूडेंट्स को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में प्रदेश में मैरिट लिस्ट जारी कर दिया गया है और काउंसलिंग का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में नीट क्वालिफाई रैंक हासिल करने वाले अभ्यार्थियों के पालक काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन नियम कानून जानकर उनके पैरों तले जमीन खिसक जाती है. दरअसल, UG में भर्ती के लिए 25 लाख का संपत्ति बॉन्ड देना होता है तो वहीं PG में भर्ती के लिए 50 और संपत्ति बॉन्ड कलेक्टर के तहसीलदार से प्रमाणित करके जमा कराना पड़ता है. इस मामले में IMA और जूडो संरक्षक डॉ. राकेश गुप्ता और UDF अध्यक्षों ने बड़ा खुलासा करते हुए अधिकारियों पर अपने फायदे के लिए प्रदेश में अलग नियम बनाने के आरोप लगाए हैं.

इस मामले में जूडो संरक्षक और IMA अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा NEET UG-PG में भर्ती के लिए देश में कहीं नियम नहीं है वो नियम छत्तीसगढ़ में बनाया गया है, जबकि पूरे देश में NEET रैंक के आधार पर प्रवेश दिया जाता है.

होनहार मेधावी गरीब बच्चे को डॉक्टरी की पढ़ाई करने का नहीं है अधिकार ?

IMA अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि प्रवेश के दौरान नीट UG PG में पच्चीस लाख और 50 लाख के बॉन्ड का जो प्रावधान रखा गया है, इससे छत्तीसगढ़ के मूल निवासी बहुत ज्यादा प्रभावित हैं. प्रतिभावान बच्चे परीक्षा पास करके रैंक तो ले आते हैं लेकिन प्रवेश के दौरान निर्धारित बॉन्ड जमा करने में सक्षम नहीं होते, इसलिए डॉक्टर की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

पालकों ने भी उठाया सवाल

पैरेंट्स सवाल उठा रहे हैं कि जब पूरे देश में नीट परीक्षा के रैंक से प्रवेश दिया जाता है,  तो छत्तीसगढ़ में पच्चीस और 50, लाख का प्रावधान क्यों रखा गया है?  क्या बड़े लोगों के बच्चे ही मेडिकल की पढ़ाई करेंगे?   मध्यम वर्गीय गरीब परिवार के बच्चे का क्या गुनाह है? जितना रकम सपने में भी नहीं देखे हैं, उतना तो बॉन्ड के लिए निर्धारित किया गया है.

नियम को हटाने की जरूरत: IMA

IMA के पदाधिकारियों ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए कहा कि ये नियम गलत है इसको हटाने की जरूरत है. गरीब बच्चे और उनके पैरेंट्स मेडिकल की पढ़ाई का जो सपना देखते हैं, यह उनके साथ षड्यंत्र है, धोखा है. सीधे-सीधे मौलिक अधिकार का हनन है.  देश में सबको पढ़ने का अधिकार है, लेकिन ये लाखों रुपए जमा करने की मांग बहुत बड़ी बाधा है. नीट राष्ट्रीय परीक्षा है. ऐसे में जो पूरे देश में प्रक्रिया है, वहीं प्रक्रिया छत्तीसगढ़ में भी लागू करने की मांग करते हैं.

UDF के अध्यक्ष ने खोली पोल

UDF के अध्यक्ष डॉ. हीरा ने बताया, कोई भी कोर्स में लाखों रुपए या संपत्ति को गिरवी नहीं रखा जाता. लेकिन UG PG NEET में पच्चीस और 50 लाख रुपए की सम्पत्ति प्रवेश के दौरान ही जमा करा ली जाती है, जो बहुत गलत है. इसका बड़ा नुकसान ये भी है कि हर कोई इतनी बड़ी राशि जमा नहीं कर सकते. उन्होंने आगे बताया कि बस्तर के होनहार बच्चे एग्जाम क्लियर कर लेते हैं लेकिन पैसा या संपत्ति न होने के कारण प्रवेश नहीं ले पाते. ऐसा ही मिडिल वर्ग और गरीब वर्ग के बच्चे होते हैं. मैं खुद भुक्तभोगी हूं.

जूडो ने भी किया विरोध

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी इस नियम पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस नियम को तत्काल खत्म करने की जरूरत है. इससे प्रतिभावान अभ्यार्थी रैंक के आधार पर भर्ती नहीं ले पाते, जबकि पूरे राज्य में रैंक के आधार पर ही प्रवेश दिया जाता है.

हर बार काउंसलिंग का मामला जाता है कोर्ट

UDF और जूडो के अध्यक्षों का कहना है कि हर बार काउंसलिंग विवाद में रहता है. नियमों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है. ऐसा कोई साल नहीं होता कि विद्यार्थियों को कोर्ट न जाना पड़े. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए इस नियम को बनाया है. बॉन्ड राशि इतनी अधिक है कि छत्तीसगढ़ के आम निवासी के लिए एक पहाड़ से कम नहीं है. नीट की परीक्षा में रैंक तो ले आते हैं लेकिन संपत्ति नहीं होने या पैसा नहीं होने से वो सीट छोड़ देते हैं, जिससे अधिकारी अपनों को मैनेज कर आबंटित करते हैं.

इस मामले में डायरेक्टर मेडिकल शिक्षा डॉक्टर US पैकरा ने बताया कि अभ्यर्थियों को नियमानुसार निर्धारित राशि का बैंक से बॉन्ड बनवाना होता है, और ये बंधक प्रपत्र प्रवेश के दौरान जमा करवाया जाता है.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया तर्क

स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा जो मुझे जानकारी दी गई है. नियम पहले से बना हुआ है. नियम के अनुसार डॉक्टर पढ़ाई करके बॉन्ड अवधि को पूरा नहीं करते और छोड़कर चले जाते हैं इसलिए उनसे बॉन्ड भरवाया जाता है, ताकि वो बॉण्ड सेवा दे सकें. इसके साथ ही स्वास्थ मंत्री ने  कितनी-कितनी राशि दी जाती है, यह जानकारी लेने की बात कही है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दी सलाह

मेडिकल शिक्षा के जानकार लोगों का कहना है. जो लोग डॉक्टरी पढ़ाई करने के बाद बॉन्ड छोड़ के चले जाते हैं तो आखिरकार उनका रजिस्ट्रेशन कैसे हो जाता है?  बगैर रजिस्ट्रेशन प्रैक्टिस करने की अनुमति ही नहीं है.  संपत्ति बॉन्ड रूपी बाधा को हटाते हुए स्पष्ट तौर पे रजिस्ट्रेशन में कढ़ाई अपनाने की जरूरत है. जो लोग बॉण्ड छोड़ कर जाते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं होगा तो वो प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे. ऐसे में सभी को तानाशाही बंधन में बांधना उचित नहीं है.  तत्काल ऐसे नियम में संशोधन करने की जरूरत है.

क्या केवल अमीर बच्चे बनेंगे डॉक्टर ?

सामाजिक कार्यकर्ता, जूनियर डॉक्टर, IMA ने सवाल उठाया है कि क्या अमीर ही डॉक्टर बनेंगे? गरीब वर्ग के विद्यार्थी, मिडिल क्लास विद्यार्थी, इनका क्या गुनाह है ? ऑटो वाले, रिक्शा वाले, मज़दूर, किसान और लगभग 70 लाख गरीबी रेखा राशन कार्ड धारी व्यक्ति क्या सपना नहीं देख सकते कि उनके बेटा-बेटी डॉक्टरी की पढ़ाई करें? सपना देख भी लेते हैं. तो यह सपना इस नियम रहते साकार नहीं होगा. अंत में मायूस ही होना पड़ेगा. तत्काल इस नियम में संशोधन करने की जरूरत है.

देखिए क्या कहते हैं राजपत्र में प्रकाशित नियम: