आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहे जाने वाला बस्तर लंबे समय से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. भाजपा सरकार ने 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का टारगेट रखा है और इसके लिए सुरक्षा बलों ने नई रणनीति के तहत अभियान छेड़ दिया है. लेकिन इस बीच ग्रामीण भी पिसते नजर आ रहे है. बस्तर बेल्ट में बीते 8 महीने पर नजर डाले तो 36 निर्दोष ग्रामीण नक्सल हिंसा का शिकार हो चुके है.
बस्तर में पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा जारी एंटी नक्सल ऑपरेशन के चलते बैक फुट में आए नक्सलियों ने सॉफ्ट टारगेट करने की रणनीति अपना ली है. यही वजह है की मुठभेड़ में लगातार अपने साथियों को गवा रहे है. नक्सली अपनी झुंझलाहट निर्दोष ग्रामीणों पर निकाल रहे है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि वर्ष 2024 में अब तक बस्तर में 36 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. वहीं इनमें से 16 ग्रामीणों को नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में हत्या की है. साथ ही आईईडी की चपेट में आने की वजह से भी बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौत हो चुकी है.
वर्ष 2024 में बस्तर संभाग अंतर्गत जारी नक्सल विरोधी अभियान के दौरान अब तक कुल 143 नक्सलियों के शव बरामद किए गए है. वहीं 596 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि 599 नक्सलियों ने नक्सल विचारधारा को छोड़ मुख्यधारा में जुड़ने आत्मसमर्पण भी किया है. आंकड़ों से समझा जा सकता है कि किस तरह नक्सलियों को हर मोर्चे पर मात खानी पड़ रही है. ऐसे में नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और दहशत बरकरार रखने के लिए सॉफ्ट टारगेट करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
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