रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है. इस बार यह घटना कहीं और नहीं बल्कि राजधानी के सबसे बड़े जीवनदायनी अंबेडकर अस्पताल स्थित मर्चुरी में घटी है. जहां एक शव के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है. घटना के बाद मृतक के परिजनो ने अस्पताल प्रबंधन के रवैये पर आपत्ति जताते हुए जमकर हंगामा किया. वहीं जब मर्चुरी प्रभारी से हमने बात करनी चाही तो प्रभारी मीडिया को आता देख वहां भाग निकले.

दरअसल मंगलवार को टाटीबंद निवासी कौशल गुप्ता (40 वर्ष) नाम के व्यक्ति की हार्टअटैक आने से मौत हो गई थी. मौत के बाद परिजनो ने नेक काम करते हुए मृत व्यक्ति का नेत्र दान करने का फैसला लेते हुए नेत्र दान कर दिया. और उस वक्त समय ज्यादा होने पर शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया. लेकिन डाक्टरों ने शव को अच्छे से रखने के बजाय लावारिस फेंक दिया.  इतना ही नहीं, शव से नेत्र निकालने के बाद आंखों में पट्टी तक नहीं बांधा गया था. जबकि शव को नियमता सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से रखना था.

वही ऐसा होता देख परिजन सहन नहीं कर सके और मर्चुरी में हंगामा करने लगे. परिजन दुख की इस घड़ी में कोई बवाल नहीं करना चाहते थे इस वजह से शांत हो गए, लेकिन आगे किसी के साथ भी ऐसा ना हो इसके लिए मामले को संज्ञान में लेते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग की है. यह पहला मामला नहीं है ऐसे ही कई मामले पहले भी मेकाहारा अस्पताल में देखने को मिले है. लेकिन लोग इसकी शिकायत करने से बचते रहते हैं. लेकिन कब तक शव के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार होता रहेगा.

अंबेडकर अस्पताल के मर्चुरी में ना तो हेल्प डेक्स है ना ही कोई जानकारी देने वाला मौजूद रहता है. ऐसे में लोग जानकारी पूछने जाए तो जाए कहा. अब इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते दिख रहे हैं.

परिजनों का कहना है कि मंगलवार को करीब 3 बजे शव को लेकर मेकाहारा अस्पताल स्थित मर्चुरी में पोस्टमार्टम कराने आए थे. इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों ने फैसला लिया कि मृतक का नेत्र दान करेंगे. नेत्र दान करने के बाद पीएम करने कहा गया, लेकिन डॉक्टर समय समाप्त होने का हवाला देते हुए बुधवार को पीएम करने की बात कहीं. परिजनो ने डॉक्टर से गुजारिश करते हुए शव को फ्रीजर में रखने की बात कहकर वहां से चले गए. दूसरे दिन जब परिजन मर्चुरी पहुंचे तो शव लावारिस हालत में पड़ा दिखा. उन्होंने हंगामा किया लेकिन बाद में शांत हो गए, हालांकि उनका कहना है कि शव का अंतिम संस्कार होने और कार्यक्रम हो जाने के बाद लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ शिकायत करेंगे और कार्रवाई करने की मांग करेंगे.

बता दें कि किसी भी इंसान की मौत हो जाने के दौरान उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल में लाया जाता है. पोस्टमार्टम होने तक शव की जिम्मेदार सरकार की होती है. सरकारी निगरानी में रहते हुए यदि शव को किसी तरह की क्षति यदि पोस्टमार्टम से पहले पहुंचती है तो शव के परिजन बवाल खड़ा कर सकते हैं.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार कब तक ऐसा चलता रहेगा? ऐसे मामलों पर क्यों कोई  संज्ञान लेने वाला नहीं होता है? शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है. अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहते हैं. अब देखना यह होगा कि क्या यह अमानवीय व्यवहार का सिलसिला रूकेगा या फिर यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा.