हर साल की तरह इस साल भी लालबागचा राजा गणेश का फर्स्ट लुक सामने आ गया है। महाराष्ट्र समेत पूरा भारत गणेश उत्सव शुरू हो गया है। लेकिन महाराष्ट्र में जब भी बप्पा का जिक्र होता है। सबसे पहला नाम लालबाग के राजा का आता है, जिन्हें लोग प्यार से लालबागचा राजा कहते हैं। लेकिन, सवाल यह है कि लालबागचा राजा कौन हैं, इस नाम के पीछे की कहानी क्या है और फिर जानिए लालबागचा राजा 2024 की थीम और लालबागचा राजा के दर्शन कैसे करें।

लालबागचा राजा का इतिहास

लालबागचा राजा मुंबई के लालबाग इलाके के सबसे बड़े गणेश हैं, जिनकी मूर्ति 1934 से हर साल स्थापित की जा रही है। दरअसल, 1934 में मुंबई के लालबाग मार्केट इलाके में श्रमिकों के एक समूह ने अपनी गणेश मूर्ति स्थापित करके इस परंपरा की शुरुआत की थी। इसके पीछे की बात ये है कि मुंबई के दादर और परेल से सटा लाल बाग इलाका मेलों से घिरा रहता था. उनकी आय का एकमात्र स्रोत पेरू में रहने वाला एक ग्राहक था। लेकिन वर्ष 1932 में पेरू जाना रोक दिया गया और उनकी आजीविका को भारी नुकसान हुआ।

लालबागचा राजा कौन हैं?

इस बीच मछुआरों को कठिन समय से गुजरना पड़ा और उन्हें अपना माल सड़क पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब लोगों ने धन इकट्ठा किया और गणेश जी की एक छोटी मूर्ति लाई और उनके सामने प्रार्थना की। 2 साल बाद इन लोगों की मनोकामना पूरी हुई और 12 सितंबर 1934 से हर साल गणेश जी की स्थापना करने की परंपरा चली आ रही है। पहली गणेश जी की मूर्ति साधारण और 2 फीट ऊंची मिट्टी की मूर्ति थी, लेकिन उसके बाद सबसे बड़ी मूर्ति लाने की परंपरा चली आ रही है। जैसे-जैसे पंडाल बड़ा होता गया, वैसे-वैसे मूर्ति का कद और लोकप्रियता भी बढ़ती गई। 1950 के दशक तक, लालबागचा राजा मुंबई में एक प्रसिद्ध गणेश पंडाल बन गया था।

लालबागचा राजा क्यों लोकप्रिय हैं?

लालबागचा राजा को नवसाचा गणपति यानी भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले गणेश के रूप में पूजा जाता है। इसीलिए वे मशहूर हैं। आज लालबागचा राजा मुंबई की सबसे प्रसिद्ध गणेश मूर्तियों में से एक है, जो गणेश चतुर्थी के दौरान लाखों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करती है। बड़े-बड़े नेता, अभिनेता और बिजनेसमैन भी उनके दर पर माथा टेकते हैं।

लालबागचा राजा 2024 थीम

इस बार लालबागचा राजा की थीम बेहद खास है। 2024 की सजावट की थीम अयोध्या राम मंदिर से प्रेरित है। प्रवेश द्वार पर भगवान राम की मूर्ति के साथ राम मंदिर की एक भव्य प्रतिकृति है। सजावट प्रसिद्ध कला निर्देशक नितिन चंद्रकांत देसाई द्वारा डिजाइन की गई है।