बच्चे की आंखों के आकार में बदलाव आना यानी भेंगापन (स्क्विंटिंग) किसी भी माता-पिता के लिए बहुत बड़ी परेशानी की सबब हो सकता है। यह बेहद दुखभरी स्थिति होती है। भेंगापन इस बात का संकेत है कि बच्चा ठीक तरह से देख पाने में असमर्थ है, उसे परेशानी आ रही है। यह एक गंभीर समस्या है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इन समझना जरूरी है। ताकि सही समय पर, सही डॉक्टर से बच्चे का इलाज हो सके।

रिफ्रेक्टिव एरर्स

यह भेंगापन का सबसे कॉमन कारण है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके रेटिना पर प्रकाश किस तरह पड़ता है। रिफ्रेक्टिव एरर्स के भी कुछ प्रकार हैं, जैसे-

मायोपिया: दूर की चीजों का साफ-साफ दिखाई न देना। देखने के लिए आंखों पर बहुत अधिक जोर लगाना।

हाइपरोपिया: आंखों में रेटिना के पीछे के दृश्यों पर अधिक फोकस होना। आसपास की चीजें स्पष्ट तौर पर दिखाई न देना, देखने में तकलीफ होना। ऐसे स्थिति में आंखें भेंगी करके देखने से फोकस करने में आसानी होती है।

एस्टिमेटीज्म: इस स्थिति में कार्निया या लेंस का आकार साधारण से अलग होता है। इसकी वजह से दूर और पास की सभी चीजें धुंधली दिखाई देती हैं।

आंखों की मसल्स का असंतुलन: जब दोनों आंखें एक सीध में नहीं देख पाती तब क्रास्ड आइज की स्थिति बन जाती है। फिर देखने के लिए काफी जोर लगाना पड़ता है। बहुत देर तक स्क्रीन देखने की वजह से भी आंखों को नुकसान हो सकता है। आंखों पर दबाव पड़ सकता है। थकान की वजह से भी आंखों को सिकोड़कर या टेड़ी-मेढ़ी करके देख सकता है।


नजर से जुड़ी कोई पुरानी समस्या: अगर बच्चे के पूर्व में नजर से जुड़ी कोई समस्या हो, वह ठीक से देख नहीं पा रहा हो तो इसके चलते भी वह आंखों को भेंगा करके देखता हो। जिसमें व्यक्ति की ऊपरी पलक बहुत अधिक झुक जाती है और इससे उसे ठीक तरीके से दिखाई नहीं दे पाता।

कुछ मामलों में देखा गया है कि आंखों से जुड़ी किसी समस्या के ठीक हो जाने के बाद भी बच्चे को आंखें भेंगी करके देखने की आदत हो जाती है। इस आदत को छोड़ने में समय लगता है, इसलिए आंखें भेंगी दिखाई देती हैं। आंखों से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। ताकि समय रहते उपचार हो सके।