अमृतसर. पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से कर्ज की सीमा बढ़ाने की मांग की है. इसके लिए राज्य सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की कर्ज सीमा बढ़ाने की गुजारिश की है और इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को पत्र भी भेजा है. सरकार ने कहा है कि इस समय उसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है और खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना जरूरी है. वर्तमान वार्षिक उधार सीमा पंजाब सरकार के वित्तीय वर्ष के खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए सरकार अतिरिक्त कर्ज उठाना चाहती है.


पंजाब सरकार ने केंद्र को बताया है कि उसे 23,900 करोड़ रुपये का कर्ज और ब्याज चुकाना है. वित्तीय संकट के मद्देनज़र, राज्य सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनमें 7 किलोवाट तक की बिजली पर 3 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी समाप्त करना और तेल की कीमतों में वृद्धि शामिल है. इसके अलावा, सरकार ने ग्रीन टैक्स लगाने जैसे कदम भी उठाए हैं, जिससे अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकेगी. सरकार को अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने की भी जरूरत है.


पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि केंद्र ने उसकी कर्ज सीमा 2387 करोड़ रुपये कम कर दी थी. अगस्त में पंजाब कैबिनेट की बैठक में केंद्र से कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिखने की अनुमति दी गई थी. सरकार ने पत्र में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उसे यह कर्ज पिछली सरकारों से विरासत में मिला है, जिसे निपटाना जरूरी है. सरकार को 69,867 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है.


वर्तमान में पंजाब सरकार की कर्ज लेने की सीमा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 30,464.92 करोड़ रुपये है, जिसमें से अब तक 13,094 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जा चुका है. राज्य सरकार को इस वित्तीय वर्ष के शेष भाग में 10,000 करोड़ रुपये की और कर्ज सीमा की जरूरत है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य की कर्ज सीमा 45,730 करोड़ रुपये थी.


यदि केंद्र सरकार कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए तैयार नहीं होती, तो मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठा सकते हैं. इसके अलावा, नेशनल हेल्थ मिशन और ग्रामीण विकास फंड की राशि भी केंद्र सरकार से लंबित है, जिसे अभी तक जारी नहीं किया गया है. इसी कारण से वित्तीय आयोग की राजकोषीय घाटा अनुदान घटकर 1995 करोड़ रुपये रह गई है.