रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चारों सलाहकारों ने मोर्चा संभाल लिया है. सीएम भूपेश बघेल के चारों सलाहकार अपने- अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं. माना जा रहा है कि इनके ज़रिए सरकार बेहतर और नए तरीके से काम करेगी. चारों सलाहकारों को जल्द ही मंत्रालय में कमरा अलॉट हो जाएगा. विनोद वर्मा राजनीतिक सलाहकार के तौर पर रणनीति बनाने का काम करेंगे. जबकि रुचिर गर्ग मीडिया को लेकर सलाह देंगे. राजेश तिवारी विधायकों से सरकार के समन्वय का काम करेंगे, जबकि प्रदीप शर्मा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने की दिशा में काम करेंगे.

 

आईए जानते हैं इन चारों सलाहकारों के बारे में. जिनके ऊपर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपना भरोसा जताया है. सबसे पहले आपको बताते हैं विनोद वर्मा के बारे में. विनोद वर्मा को भूपेश बघेल ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया है.

विनोद वर्मा

विनोद वर्मा की सोशल मीडिया पर उनकी पहचान मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट की है. ढाई साल पहले कांग्रेस से जुड़े उससे पहले विनोद वर्मा अपनी पत्रकारिता की वजह से देश भर में सुर्खियां बटोर चुके थे. छत्तीसगढ़ में विनोद वर्मा की पहचान एक ऐसे छत्तीसगढ़िया पत्रकार की रही है जिन्होंने दिल्ली से लेकर लंदन तक बीबीसी जैसे मीडिया हाऊस में काम किया है.

आज विनोद वर्मा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुख्य रणनीतिकार हैं. लोगों से गर्मजोशी से मिलने वाले विनोद वर्मा पर्दे के पीछे रहकर काम करने में बेहद माहिर हैं. कांग्रेस को सत्ता दिलाने के लिए उन्होंने सबसे पहले संगठन को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया. ढाई साल पहले कांग्रेस को कंसलटेंसी देने आए तो उन्हें कम्यूनिकेशन का काम के लिए बुलाया गया. लेकिन यहां उन्हें सोशल मीडिया और रणनीति बनाने की ज़िम्मेदारी मिली. कांग्रेस में रहते हुए विनोद वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष भूपेश बघेल के कहने पर वर्कर ट्रेनिंग का माड्यूल बनाया. ये मॉड्यूल राहुल गांधी को पसंद आया. अब देश भर में कांग्रेस इसे लागू करने जा रही है. इस मॉड्यूल ने कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में हर बूथ पर पहुंचा दिया. जिसकी वजह से पार्टी को तीन-चौथाई बहुमत मिला.

कांग्रेस के लिए काम करते हुए विनोद वर्मा की सीडीकांड में गिरफ्तारी भी हुई. इसके बाद वे रिहा हुए और बीजेपी सरकार को हटाने तक शांत नहीं बैठे. राजनीति में अपनी सेवाएं देने वाले विनोद वर्मा रायपुर के रहने वाले हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा कालीबाड़ी स्कूल से हुई. इसके बाद वे साइंस कॉलेज गए. फिर देशबंधु से पत्रकारिता शुरु की. यहां उन्होंने संपादकीय पेज देखा. कई बार संपादकीय लिखा. 4-5 साल काम करने के बाद विनोद वर्मा को दिल्ली भेजा गया. कुछ समय तक दिल्ली में देशबंधु के लिए काम करते-करते इनकी नौकरी बीबीसी हिंदी में लग गई. बीबीसी ने इन्हें लंदन भेजा गया. फिर वे वापिस बीबीसी भारत में आए.  ‘संदर्भ छत्तीसगढ़’ और ‘संदर्भ मध्यप्रदेश’ जैसे संदर्भ किताबों का संपादन विनोद वर्मा ने किया. छत्तीसगढ़ पर किताब ‘गढ़छत्तीस ‘ के लेखक भी रहे. 2017 में कांग्रेस से ऑफर मिला तो रायपुर में अपना काम शुरु किया.

2009 में इन्होंने ओडिशा के जंगलों में जाकर नक्सली नेता सव्यसाची पंडा का इंटरव्यू किया. बीबीसी के बाद विनोद वर्मा को अमर उजाला के डिजिटल कर्वर्जन हेड बनाया गया.  ढाई साल काम करने के बाद नौकरी छोड़ दी. उसके बाद उनका अपना वेबसाइट खबरबट्टू डॉट क़ॉम शुरु किया. वे हरिभूमि पत्र समूह के डिजिटल कंसलटेंट रहे. वे रेखांकन बहुत बढ़िया करते हैं.