अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना शहडोल जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेजहाई में देखने को मिला। यहां बच्चों को मिड डे मील के तहत दी जा रही दाल की स्थिति ऐसी है कि यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि दाल में पानी है या पानी में दाल। यह पोषण वाली दाल कहने के लिए बनाई जा रही है, लेकिन बच्चों को इसमें दाल ढूंढने में मुश्किल हो रही है। इस योजना को गरीब छात्रों के लिए पोषण का वरदान बताया जाता है, लेकिन यहां इसका उद्देश्य साफ तौर पर विफल होता दिखाई दे रहा है।

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पूरा मामला

शहडोल जिले के बुढार जनपद पंचायत अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेजहाई में मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी सागर स्व सहायता समूह को दी गई है। लेकिन यहां बच्चों को दिए जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मिड डे मील में बच्चों को परोसी जा रही दाल इतनी पतली है कि इसे दाल कहना मुश्किल हो गया है। पतेली में पानी के बीच गिनी-चुनी दालें नजर आती हैं, जो स्पष्ट रूप से योजना के मानकों का उल्लंघन करती हैं।

सेजहाई विद्यालय में लगभग 64 बच्चे अध्ययनरत हैं, और मिड डे मील मेनू के अनुसार, उन्हें चावल के साथ मूंग की दाल और मटर-चने की सब्जी परोसी जानी चाहिए थी। लेकिन इसके विपरीत, यहां मटर की सब्जी के बजाय आलू और मूंग की दाल की जगह तुअर की पतली दाल दी जा रही है।

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स्व सहायता समूह की मनमानी

शासकीय स्कूलों में एमडीएम के तहत पकाए जा रहे भोजन में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्व सहायता समूह की मनमानी चरम पर है, जिसके चलते बच्चों को गुणवत्ता विहीन भोजन परोसा जा रहा है। इस लापरवाही का सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर पड़ रहा है। मामले में जनपद पंचायत बुढार के सीईओ मुद्रिका सिंह का कहना है कि उन्हें इस समस्या की जानकारी अभी मिली है। उन्होंने बताया कि सेजहाई स्कूल में गुणवत्ताविहीन भोजन दिए जाने की जांच के लिए बीआरसी को भेजा गया है और जांच प्रतिवेदन आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

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