लखनऊ. रामपुर के पूर्व एसपी अशोक कुमार शुक्ला की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. अशोक कुमार शुक्ला पर आरोप है कि पूर्व मंत्री आजम खां के खिलाफ दर्ज मुकदमे में विवेचक को बदलकर गंभीर धाराएं हटा दी गई थी. उसके बाद अदालत में दोषपूर्ण आरोप पत्र दाखिल में आजम का नाम नहीं था. ऐसे में सरकार ने पूर्व एसपी के खिलाफ जांच का आदेश दिया है. इसके लिए जांच समिति गठित की गई है.
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर रामपुर के पूर्व एसपी अशोक कुमार शुक्ला के खिलाफ जांच समिति का गठन कर जांच शुरू की गई है. यह मामला जौहर विश्वविद्यालय के परिसर के अंतर्गत आने वाली शत्रु संपत्ति से संबंधित है, जिसके दस्तावेजों में हेराफेरी करने का आरोप है.
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दरअसल, यह संपत्ति इमामुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी, जो देश के विभाजन के दौरान पाकिस्तान कूच कर गए थे. जिसके बाद 2006 में भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतर्गत दर्ज कर लिया. जब जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में तमाम सरकारी जमीनों पर कब्जा करने जांच हुई तो यह प्रकरण सामने आया. जांच में पता चला कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज इस शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के लिए फर्जी तरीके से आफाक अहमद का नाम अंकित कर दिया गया, रिकॉर्ड के पन्ने भी फटे मिले. जिसके बाद वर्ष 2020 में थाना सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया.
इसके बाद 2023 में इसकी विवेचना तत्कालीन इंस्पेक्टर गजेन्द्र त्यागी ने शुरू की. गजेन्द्र ने लेखपाल के बयान के आधार पर मो. आजम खान का नाम आरोपितों में शामिल कर दिया था. इस पर तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला ने इंस्पेक्टर गजेंद्र त्यागी से विवेचना लेकर अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दी थी. यहां के इंस्पेक्टर श्रीकांत द्विवेदी को विवेचना दे दी गई. इसके बाद जांच में ढिलाई बरतते हुए दर्ज धाराओं को हल्का कर दिया गया. कुछ समय बाद ही आजम खान का नाम ही एफआईआर से निकाल दिया गया था.
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