अंबेडकरनगर. वास्तव में आप जिंदा हैं या नहीं ये मायने नहीं रखता है. लेकिन कागजों में आपका जीवित होना ज्यादा जरुरी है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिले की एक बुजुर्ग महिला अब खुद के जिंदा होने को साबित करने के लिए भटक रही है. भटकते-भटकते बुजुर्ग विधवा महिला जिलाधिकारी अविनाश सिंह के दफ्तर पहुंची.

जब उसने डीएम को अपनी मुश्किलें बताईं तो वो भी हैरान रह गए. हालांकि उन्होंने फौरन कार्रवाई का निर्देश दे दिया. अब डीएम के निर्देश पर महिला के वृद्धावस्था पेंशन की बहाली के लिए पत्र भेज दिया गया है. इसके अलावा बुजुर्ग महिला को जीवित रहते हुए भी मृत घोषित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की गई है. दो अधिकारियों के खिलाफ निलंबन का आदेश जारी किया गया है.

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दरअसल, गुरुवार को जब डीएम अविनाश सिंह जनता दर्शन में बैठे थे, तभी एक बुजुर्ग विधवा महिला केवला देवी वहीं पहुंची. कटेहरी के पतौना गांव की रहने वाली केवला देवी के पति जोखूराम की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. बुजुर्ग ने वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन किया तो उसे कागजों पर मृतक घोषित कर दिया गया था. जिसकी शिकायत महिला ने डीएम से की और बताया कि उसको कागजों में मार दिया गया है.

बहाल हुई पेंशन

महिला को मृत घोषित कर उसकी पेंशन भी बंद कर दी गई. डीएम ने इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए जिला समाज कल्याण अधिकारी को जांच अधिकारी नामित करते हुए इस मामले की तुरंत जांच कर रिपोर्ट देने को कहा. अधिकारी ने कुछ ही समय में रिपोर्ट डीएम को सौंप दी. जिसके मुताबिक 2022-23 में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी ने अपने स्त्यापन रिपोर्ट में केवला देवी को मृतक घोषित कर दिया था. नतीजन बुजुर्ग महिला की पेंशन बंद हो गई थी. डीएम के निर्देश पर वृद्धावस्था पेंशन फिर से बहाल करने के लिए समाज कल्याण उत्तर प्रदेश को पत्र भेज दिया गया है. इधर लापरवाही और जिंदा महिला को मृतक घोषित करने वाले तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी सरिता शुक्ला के तत्काल निलंबन का निर्देश डीएम ने दिया है.