लखनऊ. पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने अपने कार्यालय स्थित लालबाग पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों और नई हज पॉलिसी (new hajj policy) की कमियों की वजह से हज 2025 (Hajj 2025) पिछले साल की अपेक्षा और भी मुश्किल भरा होने वाला है. अगर समय रहते सरकार नहीं चेती तो देश भर के लाखों हाजियों को तो दुश्वारी होगी ही. साथ ही भारत की साख को भी ठेस पहुंचेगी.

मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (Ministry of Minority Affairs) ने हज 2025 (Hajj 2025) की जो पॉलिसी बनाई है उसमें सबसे बड़ी विसंगति ये है कि एक ही परिवार के महिला और पुरुष हज यात्रियों को मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में अलग-अलग होटल और भवनों में ठहराया जाएगा. भारतीय हज यात्रियों के लिए यह सबसे बड़ी कष्ट दाई बात है कि उनके परिवार की महिलाओं को किसी और होटल या भवन में ठहराया जाए और पुरुष को किसी और होटल या भवन में ठहराया जाए. भारत से हज जाने वाले 90% पुरुष और महिलाएं वृद्ध होते हैं. यह सभी बीमारी की वजह से दवाओं और देखरेख पर आश्रित होते हैं. अलग-अलग रहने की वजह से इनको बड़ी तकलीफ होगी. वैसे भी भारतीय लोग अपने परिवार के लोगों के साथ ही ज्यादा कंफर्ट महसूस करते हैं.

फ्री फॉर्म होने के बाद भी आवेदन नहीं कर रहे लोग- मंसूरी

अनीस मंसूरी ने कहा कि इस नए फरमान की वजह से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर में मात्र 10 से 15% तक लोगों ने ही आवेदन फार्म भरे हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हज के लिए आवेदन किया है वह भी इस तुगलकी फरमान की वजह से यात्रा का कार्यक्रम निरस्त करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी सरकारों में इसी प्रदेश के 65 हजार से 70 हजार तक लोग 200 रुपये फीस देकर आवेदन करते थे. वहीं फ्री में फॉर्म भरने की सुविधा होने के बाद भी अभी तक 10 हजार लोगों ने ही आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को यह आदेश फौरन वापस लेना चाहिए.

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अनीस मंसूरी ने कहा कि हमारी लंबे समय से मांग थी कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के निदेशक और हज कमेटी ऑफ इंडिया (Hajj Committee of India) के सी. ई.ओ. लियाकत अली आफाकी को हटाया जाए और उनके पद पर किसी कर्मठ और ईमानदार अधिकारी की तैनाती की जाए. सरकार ने काफी हीला हवाली के बाद हमारी बात मानी और लियाकत अली आफाकी को सी.आई.ओ.के पद से हटा दिया और उनके स्थान पर नए सी.ई.ओ.की तैनाती की है. लेकिन आफाकी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के निदेशक पद पर बने रहेंगे. क्योंकि हज कमेटी ऑफ इंडिया अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन काम करती है. इसलिए आफाकी का हज यात्रियों को तकलीफ पहुंचाने का मंसूबा पहले की तरह ही बना रहेगा.

मुख्तार नकवी और स्मृति ईरानी ने तकलीफ देने में नहीं छोड़ी कसर- मंसूरी

मंसूरी ने कहा कि हम लगातार पांच सालों से यह मांग करते आ रहे हैं कि हज कमेटी ऑफ इंडिया को पहले की तरह विदेश मंत्रालय के अधीन किया जाए. हज यात्रियों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि हज कमेटी ऑफ इंडिया को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन किया गया. पहले मुख्तार अब्बास नकवी ने हज यात्रियों को तमाम दिक्कतों में डाला, फिर स्मृति ईरानी ने भी हाजियों को तकलीफ देने की कोई कसर बाकी नहीं रखी. हम सरकार से दोबारा मांग करते हैं कि हज कमेटी ऑफ इंडिया विदेश मंत्रालय के अधीन किया जाए.

कमीशनखोरी का आरोप

मंसूरी ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया देश की सबसे बड़ी राज्य हज कमेटी की लगातार उपेक्षा करती है. उन्होंने कहा कि हज 2024 में मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में यात्रियों के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग सिलेक्शन कमेटी में नहीं रखा गया. इसका नतीजा ये हुआ कि उत्तर प्रदेश के हजारों हज यात्रियों को थर्ड क्लास के होटलों और भवनों में ठहराया गया. उन्होंने कहा कि इसका मकसद सिर्फ कमीशनखोरी ही हो सकती है. हमारी सरकार से यह भी मांग है कि सरकार इस मामले की जांच करवाए ताकि पता चल सके कि भवन सिलेक्शन कमेटी में उत्तर प्रदेश को क्यों प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है.

मंसूरी ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया ने आवेदन फॉर्म भरने की तिथि 23 सितंबर तक बढ़ाई है जो कि ना काफी है. हमारी सरकार से मांग है कि आवेदन फॉर्म भरने की आखिरी तारीख एक महीना और बढ़ाई जाए. ताकि लोग पासपोर्ट और अन्य औपचारिकताएं पूरी कर लें.