प्रयागराज. कुख्यात माफिया अतीक अहमद की मौत के बाद भी उसकी अवैध और बेनामी सम्पत्तियों पर कार्रवाई जारी है. पुलिस ने शुक्रवार को अतीक की बेशकीमती जमीन को गैंगेस्टर एक्ट के तहत कुर्क कर लिया. 6 करोड़ की इस जमीन पर अतीक नदी किनारे अपना फार्म हाउस बनवाना चाहता था. नैनी के अरैल में यमुना नदी से से बिल्कुल पास में यह जमीन है. अतीक ने इस जमीन को दूसरे के नाम पर ले रखी थी. पुलिस ने जमीन को कुर्क करके इस पर सरकारी बोर्ड लगवा कर डुगडुगी पिटवा दी.

अब तक पुलिस ने माफिया अतीक अहमद की हज़ार करोड़ की सम्पत्तियों को अटैच किया है. इसी कड़ी में शुक्रवार को प्रयागराज की कैंट पुलिस ने माफिया अतीक की एक और बेशकीमती ज़मीन को गैंगस्टर की धारा में कुर्क कर लिया. इस जमीन पर पुलिस ने कुर्की का बोर्ड लगा कर माइक से कुर्की की जानकारी लोगों को दी.

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प्रयागराज के नैनी इलाके में माफिया अतीक अहमद की ये ज़मीन 1550 वर्ग गज के करीब है. इसकी कीमत करीब 6 करोड़ के आसपास है. पुलिस के मुताबिक अतीक और अशरफ ने नवाबगंज के करौली गांव के निवासी सफाईकर्मी श्याम सरोज के नाम पर आठ करोड़ मूल्य की बेनामी संपत्तियां बनाईं. श्याम ने खुद पुलिस को यह बयान दिया कि वह अतरसुइया निवासी सगे भाई जावेद और कामरान के घर सफाई का काम करता था. आरोप लगाया कि दोनों अतीक अहमद के करीबी थे. अतीक और अशरफ ने अपने परिचित फराज और एक अन्य के साथ मिलकर बेनामी संपत्तियों का बैनामा जबरन उसके नाम पर कराया. उसे बंधक बनाकर दस्तखत करवाए गए. अतीक और अशरफ की मौत के बाद उक्त संपत्तियों का बैनामा उनके नाम करने का दबाव बनाया. डीसीपी नगर अभिषेक भारती ने बताया कि पुलिस आयुक्त कोर्ट के आदेश पर दोनों संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क किया गया है. एडिशनल डीसीपी के मुताबिक कैंट पुलिस की विवेचना में अतीक की अवैध सम्पत्तियों का पता चला था. इसे अतीक ने दूसरे के नाम करा कर रखी थी.

बता दें कि पूर्व डीसीपी नगर दीपक भूकर के नेतृत्व में नगर जोन पुलिस ने कुख्यात माफिया अतीक अहमद और माफिया अशरफ की बेनामी संपत्तियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की. अतीक की 12.50 करोड़ मूल्य की एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के गौसपुर कटहुला स्थित संपत्ति को भी दीपक भूकर के ही नेतृत्व में कुर्क किया गया. यही नहीं, प्रभावी पैरवी कर पहली बार इस संपत्ति को शासन में निहित कराया गया. इससे पहले अतीक की तमाम संपत्तियां गैंगस्टर एक्ट में कुर्क हुई, लेकिन किसी को भी शासन में निहित नहीं कराया जा सका था.