उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया है. सीएम योगी ने कहा कि लोग आज के समय में ज्ञानवापी को दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं. लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी हैं. उन्होंने इस बयान के साथ इसको लेकर एक इतिहास भी बताया. जिस पर चर्चा हो रही है. उनका यह बयान गुरुवार को ज्ञानवापी पर वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद आया है. लेकिन ज्ञानवापी के कई रहस्य अभी छिपे हैं.

मस्जिद के नीचे बड़ा कुआं, वजूखाने में शिवलिंग!

ज्ञानवापी के कई रहस्य हैं, जिनके बारे में अभी भी पता नहीं चल पाया है. ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे बड़ा कुआं है, जिसके बारे में अभी भी पता नहीं चल पाया है. वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली है.

बंद 8 तहखाने में छिपा राज

ज्ञानवापी परिसर में 8 तहखाने हैं, जिनमें से एक में कुआं भी है. बाकी 8 तहखाने बंद हैं और इनमें मिट्टी भरी हुई है. हिंदू पक्ष का दावा है कि इन तहखानों में पुराने मंदिर के अवशेष हो सकते हैं.

ज्ञानवापी में कई ऐसे चिह्न मिले हैं, जो हिंदू धर्म से जुड़े हैं. जैसे कि स्वास्तिक, कमल के फूल, घंटी की चेन की आकृति. ज्ञानवापी में मिले शिलापट्टों पर देवी-देवताओं की कलाकृतियां बनी हैं. ज्ञानवापी में मिले शिलापट्टों पर संस्कृत के श्लोक भी बने हैं. ज्ञानवापी में मिली कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली की प्रतीत होती हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में कुछ और बातें

ज्ञानवापी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ज्ञान और वापी. कहा जाता है कि यहां एक तालाब था, जिसे ज्ञान का तालाब कहा जाता था.

पुराणों में जिन 6 वापियों यानी तालाबों का ज़िक्र है, उनमें ज्ञानवापी भी शामिल है.

स्कंद पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से स्वयं लिंग अभिषेक करने के लिए इस कुएं को बनाया था.

मान्यता है कि इस कुएं का जल बहुत ही पवित्र है और इसे पीने से ज्ञान की प्राप्ति होती है.

17वीं सदी में औरंगजेब ने कराया था निर्माण

ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान 1669 में हुआ था. यह निर्माण पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थल पर हुआ था, जिसे औरंगजेब ने तोड़ा था.

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर सदियों से एक पवित्र स्थल रहा है. यह माना जाता है कि इस मंदिर को पहले कई बार आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया और पुनर्निर्मित किया गया.

कानूनी लड़ाई जारी

ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के समय से ही इस स्थल को लेकर विवाद चल रहा है. हिंदू संगठनों का दावा है कि मस्जिद के निर्माण के लिए मंदिर को नष्ट किया गया था. इस दावे को लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है.

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सीएम योगी ने क्या दिया तर्क

सीएम योगी ने कहा, “आचार्य आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए जब काशी में आए तो यहां पर साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. बाबा विश्वनाथ एक दिन प्रातःकाल जब ब्रह्म मुहूर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए गंगा नदी में जा रहे होते हैं तो वहां सबसे अधूत कही जाने वाले एक सामान्य व्यक्ति के रूप में वह उनके सामने खड़े हो जाते हैं.”

सीएम योगी ने सुनाई ये कथा

“तब स्वाभाविक रूप से उनके मुंह से निकलता है, हटो मेरे मार्ग से हटो.” इस पर सामने से वह चंडाल आदि शंकर से एक सवाल पूछता है, “आप तो अपने आप को अद्वैत ज्ञान का विशेषज्ञ मानते हैं. आप किसको हटाना चाहते हैं, आप का ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रही है. या फिर इस भौतिक काया के अंदर बसे हुए ब्रह्म को देख रही है. अगर ब्रह्म सत्य है तो जो ब्रह्म आपके अंदर है वहीं ब्रह्म मेरे अंदर भी है. इस ब्रह्म सत्य को जानकर अगर आप इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं तो इसका मतलब आपका ये ज्ञान सत्य नहीं है.” चंडाल की मुंह से यह बात सुनकर आदि शंकर भौचक रह गए.

ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं: CM योगी

सीएम योगी ने आगे कहा, ”आश्चर्य में पड़े आदि शंकर ने पूछा कि आखिर आप कौन हैं. मैं यह जानना चाहता हूं. तो उन्होंने कहा कि आप जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए, दुर्भाग्य से वो ज्ञानवापी आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं. लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं. जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं, मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं.”

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