हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश की इंदौर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए भरण पोषण के आदेश को संशोधित किया है। हाईकोर्ट ने पति से अलग रह रही पत्नी के भरण पोषण की राशि को 60 हजार से घटाकर 40 हजार रुपए प्रति माह कर दिया है। यह फैसला तब आया जब पत्नी ने भरण पोषण की राशि बढ़ाने की मांग की थी, जबकि पति ने इसे अत्यधिक बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी।10 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला पढ़ी-लिखी है और वह शादी से पहले भी काम कर रही थी। शादी के बाद भी वह नौकरी कर सकती है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी को पति से मिलने वाली राशि को ही आय का एकमात्र साधन मानना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह मानते हुए कि महिला उच्च शिक्षित है और सक्षम है, भरण पोषण की राशि को घटाने का फैसला किया।

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2003 में शादी करने वाले इस कपल की जिंदगी में 2015 के बाद से समस्याएं बढ़ने लगीं। दोनों संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में काम कर रहे थे, जहां पति एक आईटी कंपनी में और पत्नी बैंक में जॉब करती थीं। दोनों की कोई संतान नहीं है। आपसी विवाद के बाद पत्नी इंदौर आ गई और 2016 में फैमिली कोर्ट में भरण पोषण के लिए केस दायर किया। 2019 में फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि पति को 60 हजार रुपए प्रति माह पत्नी को देना होगा। इस फैसले से संतुष्ट न होकर पत्नी ने हाईकोर्ट में राशि बढ़ाने के लिए अर्जी दी, वहीं पति ने इसे कम कराने के लिए अपील की।

हाईकोर्ट का तर्क

हाईकोर्ट ने सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि उच्च शिक्षित और सक्षम महिला के लिए इतनी अधिक भरण पोषण की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि पति से मिलने वाली राशि पर पूरी तरह निर्भर होना सही नहीं है, खासकर तब जब महिला काम करने में सक्षम है।

पति की दलील

पति ने अपने पक्ष में दलील दी कि फैमिली कोर्ट द्वारा निर्धारित 60 हजार रुपए प्रति माह की राशि उसकी आय और परिस्थितियों के अनुसार बहुत अधिक है। उसने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस राशि को कम किया जाए। हाईकोर्ट ने उसकी दलील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए भरण पोषण की राशि को घटाकर 40 हजार रुपए कर दिया।

हाईकोर्ट का फैसला

इंदौर हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट ने पत्नी की शैक्षणिक योग्यता और कार्यक्षमता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। अदालत का कहना था कि महिला के पास नौकरी करने की क्षमता है और उसे भरण पोषण की अत्यधिक राशि की आवश्यकता नहीं है।

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