Parenting Tips: घर में एकलौते बच्चे की परवरिश थोड़ी सी मुश्किल होती है, क्योंकि पेरेंट्स या ग्रेंड पेरेंट्स में किसी एक को पूरा वक्त बच्चे पर देना होता है. इसके उल्ट अगर, घर में एक से ज्यादा बच्चे हैं तो ‍वे आपस में खेलते हैं, लड़ते-झगड़ते हैं, शेयरिंग करते हैं. इन सबके साथ सोशल स्किल की बहुत सी बातें सीख जाते हैं.मगर, देखने में यह आया है कि कई बार इकलौते बच्‍चे या तो बहुत जिद्दी या समय से पहले मैच्‍योर हो जाते हैं. मगर, ध्यान दिया जाए तो बच्चा बहुत काबिल भी बन जाता है. मगर, पेरेंट्स इकलौता बच्‍चा होने की वजह से उसे सबकुछ देना तो चाहते हैं, और देते भी हैं.

साथ ही उसकी गलतियों को नजर अंदाज करना शुरू कर देते हैं बस यहीं चूक हो जाती है. बच्चा बिगड़ जाता है. बच्‍चा एक हो या एक से ज्‍यादा, चॉइस पेरेंट्स की होती है. ऐसे में पेरेंट्स की ही जिम्मेदारी है कि वह अकेले बच्चे की परवरिश में पूरा ध्यान दे. अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाए. पैंपर भी करे, मगर गलत करने पर डांट लगाए, समझाए. तो जानते हैं सिंगल चाइल्‍ड की पेरेंटिंग से जुड़ी कुछ बातें.

ओवर प्रोटेक्टिव होने से बचें

अगर, आप सिंगल चाइल्ड पेरेंट्स हैं तो ओवर प्रोटेक्टिव होने से बचें. अक्‍सर देखा गया है कि पेरेंट्स बच्चों को अकेले कोई भी काम देने से हिचकिचाते हैं. वे उसके इर्द-गिर्द रहते हैं. यह स्वाभाविक है इससे बच्चा की ग्रोथ रूक जाती है. इसलिए जरूरी है कि उन्हें आजादी दें. सोचने दें. निर्णय लेने दें. हां, उनकी मदद के लिए नजदीक रहें मगर गिरे तो गिरकर उठने दें. खुद न दौड़ें.

सोशल स्किल बढाएं

अक्‍सर देख गया है कि सिंगल चाइल्‍ड कंफर्ट जोन से बाहर निकल पाते. ‍वे बहुत जल्दी दूसरों के साथ फैमिलियर भी नहीं होते. वे चाहते हैं कि उनके हिसाब से चीजें हों. पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चे को समझाएं. दोस्त की तरह डील करें. एक-दूसरे के इमोशंस को समझें. उन्हें फैमली या फ्रेंड्स के घर ले जाएं. लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं. इससे उनके अंदर सोशल स्किल विकसित होगी. वह खुलापन महसूस करेगा.

बिहेवियर पर रखें ध्‍यान

पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी है कि वह बच्चे के व्यवहार पर ध्यान दें. अगर पेरेंट्स वर्किंग हैं तो बच्‍चे के लिए केयर टेकर रखते हैं. ऐसे में बच्‍चा अपने काम करना नहीं सीखता. बच्‍चों को अपने काम करने की आदत डालने दें. जैसे वे अपना सामान, कपड़े, खिलौने खुद सही जगह पर रखें. पेरेंट्स को बच्चे में यह आदत जरूर डालनी चाहिए कि वह अपने से बड़ों का सम्मान करे. आप उनके सामने सही व्यवहार करें, ताकि वह उसे सीखे. आप लड़ेंगे, झगड़ेंगे तो वह भी यही सीखेगा

जितना देर साथ हैं, पूरा समय बच्चे पर दें

अगर, आप बच्चे के साथ हैं तो उसे पूरा समय दें. ऑफिस के बाद टीवी या फोन पर बिजी रहने के बजाय बच्‍चे को समय दें. ताकि वह अकेलापन न महसूस करे. उससे दिनभर की एक्टिविटी के बारे में जानें. उत्साहित होकर पूछें तो वह भी उत्साहित होकर चीजें शेयर करना सीखेगा. ऐसा करने से आपके साथ बच्चे की बॉंडिंग बनेगी. आप बच्चे पर अपने निर्णय न थोपें. उसे काम करने दें. अपनी सोच बनाने दें. जहां गलत लगे तो बताएं. इससे बच्चे की पर्सोनाल्टी विकसित होने में मदद मिलेगी. बच्चे को थोड़ा अकेले भी मोहल्ले में खेलने दें.