Rajasthan News: पूर्व मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने एक बार फिर सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है। उन्होंने गृहराज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम को छह पन्नों का शिकायत पत्र सौंपकर विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़े 10 मामलों में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है।

किरोड़ी लाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्होंने DoIT में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर किया था। उस समय योजना भवन स्थित DoIT के बेसमेंट से 2.31 करोड़ रुपए नकद और एक किलो सोना मिला था। मीणा ने कहा कि इन 10 मामलों में अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, जबकि इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

ईपीडीएस प्रोजेक्ट में फर्जीवाड़े का आरोप

मीणा ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि एक फर्म ने ईपीडीएस प्रोजेक्ट के तहत उदयपुर और टोंक जिले के रसद अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपए का भुगतान हासिल किया है।

फर्जी दस्तावेजों से टेंडर हासिल

मीणा ने आरोप लगाया कि राजस्थान अकाउंटेबिलिटी एश्योरेंस सर्विस प्रोजेक्ट और फाइबर ऑप्टिक केबल प्रोजेक्ट में भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर हासिल कर करोड़ों रुपए का भुगतान लिया गया है। उन्होंने DoIT के दो अधिकारियों पर एक फर्म को बार-बार टेंडर देने का आरोप लगाया, जबकि इस फर्म को एक अन्य प्रोजेक्ट में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

पुलिस मुख्यालय और अन्य विभागों में भी फर्जीवाड़ा

मीणा ने आरोप लगाया कि एक फर्म ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पुलिस मुख्यालय और फूड एंड सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन से टेंडर हासिल किए। उन्होंने DoIT के एक पूर्व अतिरिक्त निदेशक पर भी फर्जी दस्तावेजों के जरिए निजी फर्मों को करोड़ों रुपए दिलाने का आरोप लगाया है।

रिश्वतखोरी के आरोप

मीणा ने DoIT के एक पूर्व जॉइंट डायरेक्टर पर सात साल तक अपनी पत्नी के खाते में रिश्वत लेने और एक अन्य जॉइंट डायरेक्टर पर अपनी पत्नी की कंपनी में रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इन आरोपों के पुख्ता दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं।

छह प्रोजेक्ट में 3500 करोड़ का घोटाला

मीणा ने DoIT की विभिन्न योजनाओं में 3500 करोड़ रुपए के घोटाले का भी आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में एसीबी में दो शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन कांग्रेस सरकार ने मेनपावर घोटाले, राजनेट प्रोजेक्ट, वीडियो वॉल, ई-मित्र घोटाला और अन्य मामलों की जांच की अनुमति नहीं दी थी।

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