लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। इसे लेकर अब नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस कड़ी में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान सामने आया हैं। उन्होंने कहा कि बुलडोजर लोगों को डराने के लिए था। विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए था।

अखिलेश यादव ने बुलडोजर एक्शन पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया हैं। उन्होंने कहा कि मैं बधाई दूंगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिसने बुलडोजर को रोकने का काम किया है। बुलडोजर लोगों को डराने के लिए था। जानबूझकर विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए था।

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न्यायालय से मिलेगा न्याय- अखिलेश यादव

सपा अध्यक्ष ने कहा कि खासकर उत्तर प्रदेश की सरकार और बीजेपी इस बुलडोजर को इतना महिमा मंडल कर रहे थे कि बुलडोजर की न्याय हो गया था। इनके कार्यक्रमों और रैलियों में इस बात को लेकर ये इतना बढ़ा चढ़ाकर ले आते थे कि लोगों के अंदर भय पैदा कर सके। अब बुलडोजर रुकेगा और न्यायालय से न्याय मिलेगा। बीजेपी ने न्याय के लिए बुलडोजर बना दिया था। सपा अध्यक्ष ने कहा कि बुलडोजर अन्याय का प्रतीक हो सकता है, न्याय का प्रतीक नहीं हो सकता हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने SC में दाखिल की थी याचिका

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बुलडोजर से ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया है। जस्टिस बीआर गवई ने साफ किया कि सड़क, फुटपाथ या रेलवे लाइन को रोककर किए गए अवैध निर्माण पर यह निर्देश लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सभी पक्षों को सुन कर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देश भर में लागू होने वाले दिशा निर्देश बनाएगा।

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SC कोर्ट ने कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि डिमोलिशन की कार्रवाई जहां हुई है, वो कानूनी प्रकिया का पालन करके हुई है। एक समुदाय विशेष को टारगेट करने का आरोप गलत है। एक तरह से गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा है। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि इस नैरेटिव से हम प्रभावित नहीं हो रहे हैं। हम ये साफ कर चुके हैं कि हम अवैध निर्माण को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं है। हम एग्जीक्यूटिव जज नहीं बन सकते हैं, जरूरत है कि डिमोलिशन की प्रकिया स्ट्रीमलाइन हो।