उत्तर प्रदेश ब्यूरोकेसी से रिटायर आईएएस अफसर और नोएडा अथॉरिटी के पूर्व CEO रहे मोहिंदर सिंह (Mohinder Singh) के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रेड डाली है. IAS अफसर के चंडीगढ़ स्थित आलीशान कोठी के साथ ही दिल्ली, नोएडा, मेरठ और गोवा स्थित ठिकानों पर कार्रवाई जारी है. ‘लोटस 300 प्रोजेक्ट’ (Lotus 300 Project) के तहत लग्जरी फ्लैट्स के नाम पर निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले की जांच के तहत ये कार्रवाई की गई है. इस पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था.
जानकारी के मुताबिक हेसिंडा प्रॉजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशकों और उनके सहयोगियों के 12 ठिकानों पर ईडी ने दबिश दी है. जिसमें टीम को 12 करोड़ रुपये के हीरे, सात करोड़ के सोने के जेवर और एक करोड़ रुपये कैश मिला है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सात करोड़ के हीरे सिर्फ मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित घर से मिले हैं.
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जानकारी के मुताबिक ईडी की छापेमारी में मेरठ के व्यवसायी आदित्य गुप्ता के आवास से भी 5 करोड़ के हीरे, जेवर और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं. साथ ही छापे के दौरान 6 बैंक लॉकरों की जानकारी भी मिली है. जिन्हें सील कर दिया गया है. छाप के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और मोबाइलों की जांच जारी है.
बताया जा रहा है कि कई घोटालों में नाम आने के बाद से विजिलेंस उनकी तलाश में कर रही थी. जिससे बचने के लिए वे ऑस्ट्रेलिया फरार हो गए हैं. बता दें कि मायावती के शासन में 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में मोहिंदर सिंह का नाम आया था, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने जांच का आदेश दिया था.
दर्ज किया गया था धोखाधड़ी का केस
हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (HPPL) को लोटस 300 परियोजना (Lotus 300 Project) विकसित करने के लिए जमीन दी गई थी. एचपीपीएल कई कंपनियों का समूह है. जिसमें पेबल्स इन्फ्रोटेक की भी भूमिका है. उच्च न्यायालय ने इस मामले में घोर लापरवाही के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई थी. 2018 में दिल्ली ईओडब्ल्यू की टीम ने नोएडा के सेक्टर 107 में लोटस 300 प्रोजेक्ट के मामले में रियल एस्टेट कंपनी 3C के तीन डायरेक्टर निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह और विदुर भारद्वाज को हिरासत में लिया था. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक मार्च 2018 को होम बायर्स की शिकायत पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने बताया कि बायर्स से प्रोजेक्ट में 636 करोड़ की रकम ली गई थी. जिसमें से लगभग 190 करोड़ की रकम 3C कंपनी की डुप्लीकेट कंपनी में ट्रांसफर की गई, बता दें कि इस कंपनी ने कभी भी निर्माण कार्य नहीं किया था.
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