नई दिल्ली/रायपुर. छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ित न्याय की गुहार लगाने इन दिनों नई दिल्ली में हैं. आज जेएनयू के बाहर बस्तर पीड़ितों की बस को रोक दी गई. बता दें कि एबीवीपी ने बस्तर शांति समिति के लोगों को आमंत्रित किया था. इसी बीच नक्सल पीड़ितों की बस को जेएनयू के बाहर रोक दी गई. सभी नक्सल हिंसा में विकलांग हैं. चल नहीं पा रहे हैं, फिर भी उन्हें रोक दिया गया है. कोई ऑटो से तो कोई पैदल ही घसीटकर आ रहे हैं.
बता दें कि आज ही सुबह नक्सल पीड़ितों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस दौरान पीड़ितों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने बस्तर के 4 जिलों को छोड़कर पूरे देश में नक्सलवाद को खत्म करने में सफल रही है. इस देश में नक्सलवाद को अंतिम विदाई देने के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख तय की गई है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि उससे पहले नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा. मैं नक्सलियों से अपील करता हूं कि वे कानून के सामने आत्मसमर्पण करें. अपने हथियार को छोड़ दें.
बता दें कि नक्सली हिंसा से पीड़ित बस्तर के लोगों के एक समूह ने इलाके में न्याय और शांति की मांग को लेकर गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था. ‘बस्तर शांति समिति’ के बैनर तले समूह ने कर्तव्य पथ से अपना प्रदर्शन शुरू किया और दोपहर तक जंतर-मंतर पहुंचे थे.
बस्तर शांति समिति के समन्वयक मंगूराम कवाडे ने चर्चा में कहा कि हम दशकों से नक्सली हिंसा से पीड़ित हैं. हमारे गांव तबाह हो गए हैं और हमारा क्षेत्र विकास से वंचित रह गया है. हम मांग करते हैं कि बस्तर की आवाज सुनी जाए और हमारे लोगों को लगातार हो रही इस हिंसा से मुक्त कराया जाए. नक्सली हिंसा की वजह से अपने परिजनों को खोने वाले, अपाहिज होने वाले छत्तीसगढ़ के पीड़ितों से गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने नक्सल हिंसा के साथ विचारधारा को जड़ से उखाड़ फेंकने के सरकार के संकल्प को दोहराया.
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