शिखिल ब्यौहार। भोपाल। समय के साथ शहरों की तेज रफ्तार और लगातार बढ़ती आबादी। बेतरतीब बसाहट को आधुनिकता के साथ व्यवस्थित करने का प्लान। इस प्लान का नाम था स्मार्ट सिटी। केंद्र सरकार की मुहर के बाद यह प्लान साल 2015 को जमीन पर उतारा। राजधानी भोपाल के सुनहरे भविष्य का यह सपना भी पहले 2020 को पूरा होना था। फिर डेडलाइन को 2023 बढ़ाया गया। लेकिन, भोपाल सिटी को स्मार्ट बनाने का सपना अब तक अधूरा। सियासत का केंद्र रही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सत्ता पक्ष भी सवाल खड़े कर रहा है। लल्लूराम की इस पड़ताल में आपको बताएंगे आखिर क्यों स्मार्ट नहीं बन पाया भोपाल।

सरकारी कागजात बताते हैं कि अब तक भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में करीब दो हजार करोड़ रुपये का खर्च हुआ। शहरी विकास तो दूर बल्कि भोपाल के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अभिशाप के रूप में सामने आया। धांधली और गड़बड़ियों से जिम्मेदारों की सर्वार्थ सिद्धि में भोपाल ने बहुत कुछ खोया है। इसकी शुरुआत भी ऐसे हुई कि स्मार्ट सिटी मिशन को पूरा करने के लिए भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की गई। भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों को दो भागों में बांटा गया। पहला एरिया बेस्ड डेवलपमेंट और दूसरा पेन सिटी प्रोजेक्ट।

आइए बताते हैं क्या है भोपाल स्मार्ट सिटी की प्लानिंग-

– एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) प्रोजेक्ट के तहत टीटी नगर क्षेत्र में 342 एकड़ क्षेत्र को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है। इसमें बड़े स्तर पर रोड नेटवर्क के साथ, गर्वमेंट हाउसिंग, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, हाट बाजार, दशहरा मैदान, प्लेस मेकिंग, इन्वेस्टर्स से संबंधित प्रोजेक्टों को शामिल किया गया।

– भोपाल स्मार्ट सिटी के पेन सिटी प्रोजेक्ट के तहत हेरिटेज कंजर्वेशन प्रोजेक्ट, स्मार्ट पार्क, आर्च ब्रिज समेत अन्य प्रोजेक्टों को रखा गया।

– इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के अलावा सोशल डेवलपमेंट के लिए भी प्रोजेक्ट शुरू किया गए। इसमें स्मार्ट बाइसकिल, ट्रैक, सुविधाओं की मोबाइल एप्लीकेशन, स्टार्टअप जैसे अन्य प्रोजेक्टों को शामिल किया गया।

– आईटी प्रोजेक्ट में 300 करोड़ के आईसीसीसी और आईटीएमएस जैसे सिस्टम को तैयार किया गया।

– केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन भी मई 2023 निर्धारित की है।

– एमपी की तमाम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों की प्लानिंग और अमल में शामिल रहे नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता प्रभाकांत कटारे ने बताया कि आखिर क्या है केंद्र और राज्य सरकार की स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की प्लानिंग।

– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करीब 500 करोड़ रुपये के काम फिलहाल फाइलों से लेकर जमीनी स्तर पर हैं।

अफसरों की मनमानी और कागजी प्लानिंग, ऐसे हसीन सपने

दावा था कि राजधानी में ट्रैफिक जाम की बड़ी समस्या तो चिंता मत कीजिए, सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन होगा। पानी की बर्बादी से लेकर पूरा बिगड़ा वाटर मैनेजमेंट सिस्टम तो चिंता मत कीजिए, स्कॉडा सिस्टम लागू होगा। पार्किंग की भारी समस्या से लोग परेशान तो चिंता मत कीजिए ऑनलाइन पार्किंग बुकिंग होगी। दावा यही नहीं बल्कि हाईटेक स्मार्ट पार्किंग की सुविधा, स्मार्ट पोल से वाइफाई, वेदर अपडेट डिस्पले रिपोर्ट समेत कई सपनों को दिखाया गया। हालात ऐसे कि 10 फीसदी भी किए वादों पर अमल नहीं हुआ।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट के दावे-वादों की हकीकत-

– टीटी नगर में नॉलेज हब, एजुकेशन हब, एनर्जी हब, हेल्थ हब, इनोवेशन सेंटर सहित रेसीडेंस एवं कमर्शियल कैंपस बनाकर आधुनिक सुविधाएं देने का सपना अधूरा।

– शहर में लगाए गए स्मार्ट पोल्स में फ्री वाईफाई, वायु प्रदूषण की जानकारी देंगे, चार्जिंग समेत अन्य कई सुविधाओं का सपना अधूरा।

– ऑनलाइन एप से पार्किंग की एडवांस बुकिंग का सपना अधूरा ही नहीं बल्कि टूटा।

– स्मार्ट पार्किंग तो बनाई, लेकिन लापरवाही और गड़बड़ियों के चलते योजना ने दम तोड़ दिया और पूरा हुआ सपना भी अब टूट गया।

– अर्बन टेक्टिकल प्लेस मेकिंग के तहत बोर्ड ऑफिस से ज्योति टॉकीज मार्ग के बीच इंटरसिटी बस टर्मिनल बनना है। यहां प्लेस मेकिंग के नाम पर लोगों के लिए आधुनिक बस अड्डे जैसी सुविधाएं देने का सपना।

– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत प्रोजेक्ट में अंडरग्राउंड वायरिंग, सर्विस डक्ट, अंडरपास जैसी सुविधाएं देने का दावा भी अधूरा।

– ग्रीन-ब्लू मास्टर प्लान के तहत ग्रीन सिटी भोपाल की हरियाली को सहेजने ग्रीन और जल स्रोतों को संरक्षित करने ग्रीन-ब्लू मास्टर प्लान लागू करने का सपना भी अधूरा।

– और देश में कई अवार्ड के साथ वाहवाही लूटने वाला स्मार्ट बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट के तहत साइकिल की सुविधा देने वाला प्रोजेक्ट भी अब खत्म हो गया।

स्मार्ट प्रोजेक्ट से उपजे विवादों की सिटी भोपाल

भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर साल 2016 में भी विवाद शुरू हो गया था। तब ग्रीन भोपाल से अत्याधुनिक शहर के निर्माण के लिए 40 हजार से ज्यादा हरियाली की बलि दी गई थी। विवाद बढ़ा तो अफसरों ने अन्य प्रदेशों की तर्ज पर शिफ्टिंग का प्लान लागू किया। शिफ्टिंग के नाम पर 70 करोड़ से अधिक की धांधली की गई। आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सक्सेना को सरकार ने लिखित जानकारी दी। इसमें चौकाने वाला खुलासा यह हुआ कि सरकार ने माना कि प्रोजेक्ट के तहत एक भी पेड़ की शिफ्टिंग नहीं की गई। प्रदेश की पहली स्मार्ट रोड को भी अधिकारियों ने नहीं बख्शा और पॉलिटेक्निक चौराहा से भारत माता चौराहा तक 2.2 किलोमीटर लंबी स्मार्ट रोड के निर्माण में भी भारी धांधली की गई।

धांधली के कई मामले, अफसर पीके जैन के पास मिले करोड़ों

स्मार्ट सिटी में धांधली की सूची में कई मामले दर्ज हैं। इनमें बड़े स्तर पर लोगों और बाजारों के विस्थापन में धांधली का मामला। लाखों की संख्या बिना टेंडर मिट्टी और बोल्डर को लेकर किया गया घोटाला। स्मार्ट सिटी नीलामी के नाम पर धांधली और ईओडब्ल्यू की जांच। टेक्निकल टेंडर में की गई धांधली। उधर, भोपाल स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री पीके जैन के पास भी करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा भी हाल में हुआ। लोकायुक्त पुलिस को छापे में करोड़ों की संपत्ति, नगदी और बैंक लॉकर मिले थे। लोकायुक्त को आय से 300 फीसदी अधिक संपत्ति का पता चला। उनके घर के अलावा दफ्तर में भी लोकायुक्त ने दबिश दी थी। विदेश में निवेश से संबंधित दस्तावेज भी मिले थे।

जानिए आखिर क्या कहते हैं शहर के जाने-माने अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी-

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट व्यापक था। लेकिन, स्मार्ट सिटी जैसा कुछ ऐसा हमें शहर में दिखा नहीं। एक क्षेत्र विशेष को विकसित करने का प्रयास किया गया। यह एक क्षेत्र विशेष को विकसित करने की योजना थी। इस पर अमल नहीं हुआ। दस्तावेजों यह बताते हैं कि यहां फंड की बर्बादी की गई। गवर्नमेंट हाउसिंग जैसे प्रोजेक्ट को पूरा इसलिए किया क्योंकि यह सरकारी कर्मचारियों से जुड़ा प्रोजेक्ट था। अर्बन प्लानिंग के नाम पर भोपाल के साथ सिर्फ बड़ा मजाक ही कहा जाएगा। हरियाली को उजाड़ कर इमारतों के इस प्रोजेक्ट में कुछ भी नहीं। प्रोजेक्ट ऐसे डिजाइन किया गया कि देश के जाने माने उद्योगपति ही प्लांट को खरीद सकें। मिला राजस्व अन्य डेवलपमेंट पर खर्च किया जाए। लेकिन इसमें भी गड़बड़ी हुई। भ्रष्टाचार के मामलों में जांच भी जारी है। एनवायरमेंट क्लीयरेंस की अवहेलना की गई। ऐसे पौधे लगाए आंध्र प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों में प्रतिबंधित हैं। सारे दावे अधूरे ही मानिए।

प्रभारी मंत्री भी नाराज और एक बार फिर सियासत

बीते शुक्रवार को प्रभारी मंत्री चेतन्य काश्यप ने समीक्षा बैठक में स्मार्ट सिटी के अफसर की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर भी उन्होंने बैठक में कई सवाल खड़े किए थे। उधर, कांग्रेस ने एक बार फिर प्रोजेक्ट को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। प्रदेश प्रवक्ता आनंद जाट ने लल्लूराम को बताया कि स्मार्ट सिटी की दुर्दशा को देखते हुए अब बीजेपी भी कांग्रेस की उन बातों को मान रही है। पेड़ों की कटाई के साथ करोड़ों रुपये की धांधली को अंजाम देने ही इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था। यदि मामले की निष्पक्ष जांच हो तो केंद्र के दिल्ली में बैठे बीजेपी के नेताओं तक कमीशन का काला धन मिलेगा। उधर, सत्तापक्ष का दावा है कि कांग्रेस शासनकाल में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर धांधली हुई। प्रदेश प्रवक्ता वंदना त्रिपाठी ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली निष्पक्ष के चलते ही भ्रष्ट अफसरों को सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है। जल्द ही प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार काम कर रही है।

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