धर्मेंद्र ओझा, भिंड। आज मंगलवार है, यानी पवन पुत्र हनुमान जी का दिन। इसी बीच मध्य प्रदेश के भिंड में सखी भेष में डॉ हनुमान के नाम से प्रसिद्ध दंदरौआ धाम है जो दुनिया का इकलौता मंदिर है। यहां 700 वर्ष पुरानी हनुमान जी की प्रतिमा है। कैंसर जैसे असाध्य रोगों से छुटकारा मिलने की मान्यता हैं।

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भिंड जिले के 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थितमेहगांव अंतर्गत ग्राम दंदरौआ में स्थित डॉक्टर हनुमानजी मंदिर की ख्याति देशभर में बनी हुई है। ये एक मात्र हनुमानजी का मंदिर है जहां सखी रूप में हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा होती है। यहां पहुंचने के लिए ग्वालियर की ओर से चितौरा मौ मार्ग एवं गोहद मेहगांव मार्ग से बसों एवं निजी वाहनों से सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। वहीं इटावा की ओर से आने वाले श्रद्धालु भिंड मेहगांव होते हुए सड़क मार्ग से पंहुच सकते हैं।

700 वर्ष पहले खुदाई में निकली थी प्रतिमा

बताया जाता है कि, दंदरौआ धाम में 700 वर्ष पहले खुदाई के दौरान हनुमान जी की प्रतिमा निकली थी। इसके बाद वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को हनुमान जी स्थापना कराई थी। यह सखी भेष में डॉ हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध दुनिया की इकलौती प्रतिमा है। दंदरौआ धाम के मंहत रामदास जी महाराज ने बताया कि, सखी भेष में डॉ हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध विश्व की इकलौती प्रतिमा है जो सिर्फ दंदरौआ धाम में विराजमान है।

महाराज जी ने बताया कि, जब हनुमान जी लंका में सीता माता का पता लगाने के लिए गए थे, तब उन्हें विभीषण ने युक्ति बताई थी कि लंका में जाना बहुत कठिन है। यदि सखी भेष में जाओगे तो ही सीता माता से मुलाकात हो पाएगी। तभी हनुमान जी लंका में सीता माता का पता लगाने के लिए सखी भेष में गए थे। जब पता लगाकर वापस आए तब भगवान श्री राम ने उनका स्वागत किया। इसी दिन दंदरौआ धाम में बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। बुढ़वा मंगल के दिन लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।

कैसे पड़ा डॉ हनुमान नाम

रामदास जी महाराज ने बताया कि, डॉ हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित नहीं कराई थी, बल्कि प्रकट हुई थी। करीब 700 वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी। तब बाद में स्थापना कराई गई, महाराज जी ने बताया कि एक व्यक्ति को इतना दर्द हुआ कि वो बेहोश हो गया, तब उसे मंदिर की भभूति और टीका लगाया तो वह व्यक्ति एकदम खड़ा हो गया। मंदिर में नाचने लगा, जब हनुमान जी ने उस व्यक्ति के दर्द को हरा तभी से लोग हनुमान जी को दर्द हरने वाले दर्द हरौआ अर्थात दंदरौआ के डॉ हनुमान कहने लगे।

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कैंसर जैसे असाध्य रोगों से मिलता है छुटकारा

दंदरौआ आने वाले भक्तों ने बताया कि, ऐसी मान्यता है कि यहां आने से कैंसर जैसे असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। इसलिए यहां मंगलवार एवं शनिवार के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर के महंत रामदास महाराज ने बताया कि जो असाध्य रोगों से ग्रसित रोगी आते हैं वह मंदिर की भभूत व तिलक लगाने और दर्शन करने के साथ 5 परिक्रमा लगाने से ठीक हो जाते हैं।

इसलिए यहां मंगलवार एवं शनिवार को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और साल में एक बार भादों माह के आखिरी मंगलवार यानी बुढ़वा मंगल के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, यहां आने वाले सभी भक्तों को निशुल्क भंडारा भी कराया जाता है।

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