Karnataka CM Siddaramaiah: कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ जमीन घोटाले का केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 16 अगस्त को सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी। सिद्धारमैया ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। सिद्धारमैया पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (Mysore Urban Development Authority) (MUDA Scam) से मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि घोटाले के आरोप के तार सिद्धारमैया की पत्नी को गिफ्ट में मिली जमीन से जुड़े हुए हैं। ये जमीन किसी और ने नहीं बल्कि सिद्धारमैया के साले ने गिफ्ट की है। तो आइये जानते हैं साले के गिफ्ट ने कैसे ‘जीजा जी’ को ही फंसा दिया, जिससे बात सीएम कुर्सी तक पहुंच गई है।

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीएम सिद्धारमैया को बड़ा झटका दिया। अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए/मुडा) भूमि घोटाले मामले में राज्यपाल द्वारा दिए गए अभियोजन आदेश पर सवाल उठाने वाली सीएम की रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

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न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले को बरकरार रखते हुए आदेश पारित किया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अभियोजन की मंजूरी देने के लिए राज्यपाल सक्षम हैं। इस बीच आपको बताते हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया मुडा घोटाले में क्या फंसे हैं। जानकारी के अनुसार, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।

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MUDA केस क्या है

साल 1992 में MUDA ने रिहायशी इलाके बनाने के लिए किसानों से कुछ जमीन ली थी। इसके बदले इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत MUDA ने किसानों को रिहायशी इलाके में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को जमीन के बदले साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स मिले। सिद्धारमैया की पत्नी को मुआवजे के तौर पर मिले प्लॉट की कीमत उनकी गांव वाली जमीन से बहुत ज्यादा है। हालांकि ये मुआवजा 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार के समय मिला था।

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3 एकड़ जमीन से जुड़ा है MUDA घोटाला

दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था। हालांकि इस जमीन के बदले 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था।

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करीब पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला!

जानकारी के अनुसार, मुडा घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। बताया जा रहा है सीएम सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी। यह जमीन मैसूर जिले के कैसारे गांव में स्थित है. बाद में इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) ने अधिग्रहित कर लिया। इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट के प्लॉट दे दिए गए। आरोप है कि दक्षिण मैसूर के प्रमुख इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत अधिक है। इसी को लेकर सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं।

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MUDA घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ फैसले की मुख्य बातें-

  • 1. याचिकाकर्ता ने प्रथम दृष्टया मामला पेश किया है कि सीएम और अन्य ने अपनी आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग किया है.
  • 2. जबकि MUDA को आवंटित भूमि मैसूर से 40 किमी दूर थी, प्रदान की गई वैकल्पिक भूखंड शहर के केंद्र में एक प्रमुख स्थान पर थी.
  • 3. यह मामला सार्वजनिक सेवा पदों पर बैठे लोगों द्वारा डाले गए अप्रत्यक्ष प्रभाव का उदाहरण है.
  • 4. अप्रत्यक्ष प्रभाव डालने के लिए हमेशा औपचारिक अनुशंसा पत्र या आधिकारिक आदेश की आवश्यकता नहीं होती है.
  • 5. लाभ किसी अज्ञात व्यक्ति को नहीं बल्कि एक प्रमुख व्यक्ति की पत्नी को दिया गया था.
  • 6. ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां केसर गांव में जमीन खोने वाले किसान को इतना मूल्यवान प्रतिस्थापन भूखंड दिया गया हो.
  • 7. यदि किसी साधारण व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई होती, तो वे किसी भी परिस्थिति में जांच से बच नहीं पाते.
  • 8. जब किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ 56 करोड़ रुपये के लाभ का आरोप लगाया जाता है, तो जांच जरूरी और अपरिहार्य दोनों होती है.
  • 9. भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने वालों के लिए जवाबी आरोपों का सामना करना आम बात है, जो कि मुखबिरों के लिए अक्सर होता है.
  • 10. यह तथ्य कि पत्नी द्वारा वैकल्पिक भूखंड का अनुरोध किया गया और उसे प्राप्त भी किया गया, इस मामले में याचिकाकर्ता की संलिप्तता को बाहर नहीं करता है.
  • 11. यह न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरता है कि याचिकाकर्ता को 4,800 वर्ग फीट के बजाय कितना दिया गया है, यह 38,284 वर्ग फीट है. 2 साइटें 14 साइटें बन जाती हैं. याचिकाकर्ता की पत्नी अब 56 करोड़ रुपये की 14 साइटों की गौरवशाली मालकिन हैं.

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