कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। एकात्म मानववाद के प्रणेता, विकास की अवधारणा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की सोच रखने वाले बीजेपी के पितृ पुरुष जनसंघ संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज जयंती है। पं. दीनदयाल का मध्य प्रदेश के ग्वालियर से गहरा नाता रहा है। उन्होंने सर्वप्रथम एकात्मक मानव दर्शन का ड्राफ्ट ग्वालियर के दौलतगंज स्थित श्री राम नारायण धर्मशाला में एक कमरे में जनसंघ की बैठक के दौरान प्रस्तुत किया था। इस दौरान भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, राजमाता विजयाराजे राजे सिंधिया, नारायण कृष्ण शेजवलकर जैसे नेता इस बैठक में मौजूद थे, ग्वालियर शुरुआत से ही संघ और जनसंघ का गढ़ माना जाता हैं।

संघ के कर्मठ स्वयंसेवक थे पंडित दीनदयाल

पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी कर्मठ स्वयंसेवक थे। अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत से पहले संघ के प्रचारक के तौर पर काम किया। इसके बाद उन्होंने जनसंघ की नींव भी रखी। हालांकि जब वह प्रचारक थे तब भी उनका ग्वालियर शहर आना-जाना रहा। ग्वालियर के पूर्व सांसद और जनसंघ के नेता रहे नारायण कृष्ण सेजवलकर के बेटे विवेक नारायण शेजवलकर ऐसे नेता है, जिन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देखा भी और उन्हें सुना भी।

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बीजेपी के लिए यह धर्मशाला एक पुण्य स्थल की तरह

पूर्व सांसद विवेक नारायण सेजवलकर का कहना है कि ग्वालियर शहर के लिए यह सौभाग्य की बात है कि जिस एकात्मक मानववाद की अवधारणा पर बीजेपी देश सेवा में जुटी हुई है, वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सोच थी। उन्होंने अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने का जो ड्राफ्ट तैयार किया था उसे सर्वप्रथम ग्वालियर शहर की रामनारायण धर्मशाला में ही सबके सामने पढ़ा और लोगों के समक्ष रखा। बीजेपी के लिए यह धर्मशाला एक पुण्य स्थल की तरह है और एकात्मक मानववाद दर्शन बीजेपी का गीता और रामायण जैसा पुण्य दर्शनशास्त्र है।

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रेलवे स्टेशन पर टिफिन देने जाते थे पूर्व सांसद

विवेक शेजवलकर के मुताबिक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन संघ के जमाने में अक्सर उनके घर आया जाया करते थे। उनका व्यक्तित्व बेहद सरल सहज और साधारण था। लेकिन वह एक असाधारण व्यक्ति थे। वह साधारण खानपान के अलावा साधा जीवन उच्च विचार में भरोसा रखते थे। वह बताते हैं कि जब पंडित दीनदयाल उपाध्याय दिल्ली से प्रवास के लिए मुंबई या फिर किसी दूसरे शहर के लिए गुजरते थे तो उनका भोजन का टिफिन उनके ही घर से तैयार हुआ करता था। वह अक्सर उन्हें रेल यात्रा के दौरान ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर टिफिन देने जाया करते थे।

ग्वालियर की गलियों में संगठन को दी मजबूती

ग्वालियर शहर की दौलतगंज स्थित श्री राम नारायण धर्मशाला, बीजेपी के लिए एक पुण्य तीर्थ स्थल से कम नहीं है। जिस जगह पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1965 में एक अधिवेशन के दौरान एकात्मक मानव दर्शन का प्रारूप प्रस्तुत किया था। वह बीजेपी के लोगों के लिए एक बेहद पवित्र और पुण्य स्थल मानी जाती है। ग्वालियर के लिए यह सौभाग्य की बात है कि पंडित दीनदयाल जैसे नेता ग्वालियर की गलियों में संगठन को मजबूती देने के लिए आते रहे हैं। बीजेपी नेता खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। वह कहते हैं कि यह बड़े हर्ष की बात है कि जिस एकात्म मानववाद की बात देश के प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री और मुख्यमंत्री करते हैं उसकी अवधारणा सर्वप्रथम ग्वालियर की एक मामूली सी धर्मशाला में रखी गई। जब जब पं. दीनदयाल उपाध्याय का जिक्र होता है तब ग्वालियर का नाम बड़े शान से लिया जाता है।

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