शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश के वन विभाग में करोड़ों रुपए के बजट का बंदटबांट करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि अधिकारियों ने मजदूरी और खरीदी के पैसे दूसरे कामों में खर्च कर दिए। एजी ने उनकी गड़बड़ी पकड़ी और अधिकारियों को हिदायत दी है कि जिस मद का फंड है, उसी में खर्च किया जाए। महालेखाकार के पत्र के बाद वन विभाग ने अधिकारियों को आदेश दिया है। 

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आदेश में लिखा है, विभाग द्वारा विभिन्न मदों में प्रावधानित व आवंटित मदों कतिपय कुछ आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा में किए जा रहे व्यय में वित्तीय नियमों का पालन नहीं किया जाता है। जिसके कारण महालेखाकार एमपी व्दारा ऑडिट आपत्तियां ली जाती हैं। एवं नये नये आडिट पैरा अस्तित्व में आते हैं जो उचित नहीं है।

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अतः आप स्वयं इस बात की निगरानी करें कि प्रमाणक जिस जिस स्तर (निपिक स्तर से अधिकारी स्तर तक) से तैयार होते हैं, उसमें निम्नलिखित नियमों का पालन हो रहा है कि नहीं 1 बजट जिस मद हेतु आवंटित किया जा रहा है। उसी मद में उसका उपयोग हो रहा है अथवा नहीं ? किसी अन्य कार्य में व्यय न किया जाये।

यदि उपरोक्त नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो जिस स्तर से इस कार्य में लापरवाही बरती गई है उस स्तर पर उत्तरदायित्व निर्धारित कर आवश्यक कार्यवाही करें मुख्यालय स्तर की कार्यद ही है तो उस स्तर का उत्तरदायित्व निर्धारित कर इस कार्यालय को प्रेषित करें ताकि मुख्यालय से इस संबंध में उत्तरदायी अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही संपादित की जा सके। उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन होना सुनिश्चित करें।

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